Q.3- निम्रलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
भारत की संस्कृति बहुत प्राचीन है। यह त्याग और तपस्या की भूमि है। यहाँ त्यागी- तपस्वी और ऋषि मुनि
हुए हैं। उन्होनें अपने जीवन को त्याग और ताप से संवारा । लोग उनके जीवन से बहुत प्रभावित हुए। धीरे-
धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। परिणाम यह हुआ कि ऋषि-मुनियों ने जिन आदर्शों की स्थापना
की, वे हमारी संस्कृति के अंग बन गए। हम भोग की बजाए त्याग को महत्त्व देने लगे। इससे हमारे जीवन में
सादगी और अच्छाई आई। आज पूरी दुनिया खाओ,पियो और मौज करो की निति पर चलकर प्रदुषण और
विनाश को निमंत्रण दे रही है, वही भारत त्याग बचत और कल्याण के मार्ग पर चल रहा है।
क) त्याग से आप क्या समझते हैं?
ख) भारत में त्याग को महत्त्व क्यों दिया जाने लगा?
ग) संसार के अन्य देश किस निति पर चल रहे हैं।
घ) भोग की निति क्या कहती है?
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Apna dimag lagao bete oo bete moj kardi bete
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