Q.6 प्रागैततहामसक काल को जानने िें कौन से िाध्यि/स्रोत सहायक है
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Answer:
प्राक् इतिहास या प्रागैतिहासिक काल (Pre-history or prehistoric times)
इस काल में मनुष्य ने घटनाओं का कोई लिखित विवरण नहीं रखा।
इस काल में विषय में जो भी जानकारी मिलती है वह पाषाण के उपकरणों, मिट्टी के बर्तनों, खिलौने आदि से प्राप्त होती है।
आद्य ऐतिहासिक काल (Epochal period)
इस काल में लेखन कला के प्रचलन के बाद भी उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं।
ऐतिहासिक काल (Historical period)
मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसके लिए लिखित विवरण उपलब्ध है। मनुष्य की कहानी आज से लगभग दस लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ होती है, पर ‘ज्ञानी मानव‘ होमो सैपियंस Homo sapiens का प्रवेश इस धरती पर आज से क़रीब तीस या चालीस हज़ार वर्ष पहले ही हुआ।
पाषाण काल (Stone age)
यह काल मनुष्य की सभ्यता का प्रारम्भिक काल माना जाता है। इस काल को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
पुरा पाषाण काल Paleolithic Age
मध्य पाषाण काल Mesolithic Age एवं
नव पाषाण काल अथवा उत्तर पाषाण काल Neolithic Age
पुरापाषाण काल (Paleolithic Age)
यूनानी भाषा में Palaios प्राचीन एवं Lithos पाषाण के अर्थ में प्रयुक्त होता था। इन्हीं शब्दों के आधार पर Paleolithic Age (पाषाणकाल) शब्द बना ।
यह काल आखेटक एवं खाद्य-संग्रहण काल के रूप में भी जाना जाता है। अभी तक भारत में पुरा पाषाणकालीन मनुष्य के अवशेष कहीं से भी नहीं मिल पाये हैं, जो कुछ भी अवशेष के रूप में मिला है, वह है उस समय प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर के उपकरण।
प्राप्त उपकरणों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये लगभग 2,50,000 ई.पू. के होंगे।
अभी हाल में महाराष्ट्र के ‘बोरी’ नामक स्थान खुदाई में मिले अवशेषों से ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पृथ्वी पर ‘मनुष्य’ की उपस्थिति लगभग 14 लाख वर्ष पुरानी है। गोल पत्थरों से बनाये गये प्रस्तर उपकरण मुख्य रूप से सोहन नदी घाटी में मिलते हैं।
सामान्य पत्थरों के कोर तथा फ़्लॅक्स प्रणाली द्वारा बनाये गये औजार मुख्य रूप से मद्रास, वर्तमान चेन्नई में पाये गये हैं। इन दोनों प्रणालियों से निर्मित प्रस्तर के औजार सिंगरौली घाटी, मिर्ज़ापुर एंवं बेलन घाटी, इलाहाबाद में मिले हैं।
मध्य प्रदेश के भोपाल नगर के पास भीम बेटका में मिली पर्वत गुफायें एवं शैलाश्रृय भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस समय के मनुष्यों का जीवन पूर्णरूप से शिकार पर निर्भर था।
वे अग्नि के प्रयोग से अनभिज्ञ थे। सम्भवतः इस समय के मनुष्य नीग्रेटो Negreto जाति के थे। भारत में पुरापाषाण युग को औजार-प्रौद्योगिकी के आधार पर तीन अवस्थाओं में बांटा जा एकता हैं। यह अवस्थाएं हैं-
काल अवस्थाएं
1- निम्न पुरापाषाण काल हस्तकुठार Hand-axe और विदारणी Cleaver उद्योग
2- मध्य पुरापाषाण काल शल्क (फ़्लॅक्स) से बने औज़ार
3- उच्च पुरापाषाण काल शल्कों और फ़लकों (ब्लेड) पर बने औजार
पूर्व पुरापाषाण काल के महत्त्वपूर्ण स्थल हैं –
स्थल क्षेत्र
1- पहलगाम कश्मीर
2- वेनलघाटी इलाहाबाद ज़िले में, उत्तर प्रदेश
3- भीमबेटका और आदमगढ़ होशंगाबाद ज़िले में मध्य प्रदेश
4- 16 आर और सिंगी तालाब नागौर ज़िले में, राजस्थान
5- नेवासा अहमदनगर ज़िले में महाराष्ट्र
6- हुंसगी गुलबर्गा ज़िले में कर्नाटक
7- अट्टिरामपक्कम तमिलनाडु
मध्य पुरापाषाण युग के महत्त्वपूर्ण स्थल हैं –
भीमबेटका
नेवासा
पुष्कर
ऊपरी सिंध की रोहिरी पहाड़ियाँ
नर्मदा के किनारे स्थित समानापुर
Explanation:
मोहरे, मिट्टी के बर्तन, जीवके अवशेष ,गुफाएं , चित्रकला ,औजार