Q निम्नलिखित गद्यांश का संदर्भ , प्रसंग एवं व्याख्या विशेष सहित लिखिए "
संसार में जितने पाप हैं उन सबमें झूठ सभी में बुरा है । झूठ की उत्पत्ति पाप , कुटिलता और कायरता के कारण होती है । बहुत लोग सच्चाई का इतना थोड़ा ध्यान रखते हैं कि अपने सेवकों को स्वयं झूठ बोलना सिखाते हैं । पर उनको इस बात पर आश्चर्य करना और क्रुद्ध न होना चाहिए जब उनके नौकर भी उनसे अपने लिए झूठ बोलें । "
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प्रश्न-1 नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
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विश्वविख्यात होते हुए भी स्वामी विवेकानंद का स्वभाव अति सरल व विनम्र था। वे
अंग्रेजी के पूर्ण पंडित और अपने समय के सर्वश्रेष्ठ वक्ता थे । संस्कृत के साथ-साथ उनका
जर्मन,ग्रीक,फ्रेंच आदि भाषाओं पर अधिकार था। वे केवल चार घंटे सोते थे। प्रातः चार बजे
उठकर वे जाप ध्यान में लग जाते । उन्हें प्रकृति से बहुत प्रेम था। उनकी वाणी में ऐसा प्रभाव
था कि भाषण श्रोताओं के अंदर बस जाता था और उनके लिए पत्थर की लकीर बन जाता था।
1) स्वामी विवेकानंद को किन-किन भाषाओं का ज्ञान था ?
2) स्वामी विवेकानंद का स्वभाव व व्यवहार कैसा था ?
3) स्वामी विवेकानंद की वाणी में कैसा प्रभाव था ?
4) स्वामी जी कितने बजे उठते और क्या करते थे ?
5) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखे।
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