Question 1 किस साधक के लिए काबा काशी और राम रहीम ब जाता है?
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¿ किस साधक के लिए काबा काशी और राम रहीम बन जाता है ?
✎... उस साधक के लिए काबा काशी और राम रहीम बन जाता है, जो अपने धर्म-संप्रदाय-पंथ के पाखंड और आडंबरों को छोड़कर बीच का रास्ता अपना लेता है। कबीरदास कहते हैं कि...
काबा फिर कासी भया, राँमहि भया रहीम।
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम।।
अर्थात जो साधक अपने संप्रदाय-पंथ आदि के आडंबरों और आग्रहों को छोड़कर बीच का रास्ता अपना लेता है, तब काबा काशी हो जाएगा, राम रहीम बन जाता है। काबा काशी का भेद मिट जाएगा और राम रहीम का भेद मिट जाएगा। यानी काबा काशी बन जाएगा और राम रहीम बन जाएगा। संप्रदायों की रुढ़ियां और आडंबर समाप्त हो जाएंगे। मोटा आटा का भेद मिटकर का मैदा बन जाएगा। इस अभेद रूपी मैदे का भोजन कर स्थूल भेदों का भोजन कर लेता है।
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