Question 1:
'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter मेरे बचपन के दिन
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‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ में महादेवी वर्मा ने अपने बचपन की यादों को प्रस्तुत किया है। यह पाठ एक संस्मरण के रूप में है। लेखिका अपने परिवार में लगभग 200 वर्ष बाद पैदा होने वाली लड़की थी इसलिए उनके जन्म पर सबको बहुत खुशी हुई। इसमें लेखिका ने अपने बचपन की उन दिनों का वर्णन किया है जब वे विद्यालय में पढ़ रही थी। इस संस्करण में उन्होंने लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैया ,विद्यालय की सहपाठिनें , छात्रावास का जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष के घटनाओं का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया है।
उत्तर :-
क) जब लेखिका का जन्म हुआ उन दिनों किसी परिवार में लड़की का जन्म लेना अपशगुन माना जाता था। लोग लड़की के जन्म को परिवार के लिए बोझ मानते थे। इसलिए कुछ लोग तो लड़की के पैदा होते ही उसका गला दबाकर उसे मार देते थे। लड़की का जन्म देने वाली मां को भी बुरा भला कहां जाता था तथा उसकी भी ठीक से देखभाल नहीं की जाती थी। परंतु लेखिका का घर इन सब बातों से दूर था। परिवार में बरसों बाद लड़की पैदा होने के कारण उन्होंने बेटी को दिल से स्वीकार किया और उसके जन्म पर ख़ुशियाँ मनाई।
ख) आज समय बदल गया है लोगों की सोच में अंतर आया है। आजकल लड़की और लड़के में कोई अंतर नहीं किया जाता है। लड़की के जन्म पर भी लड़की को जन्म देने वाली मां की अच्छी प्रकार से देखभाल की जाती है। कुछ परंपरावादी परिवार में अभी भी लड़की का जन्म अच्छा नहीं माना जाता है। वह लोग लड़की के पैदा होते ही उसे मार देते हैं ।कुछ लोग गर्भ में लड़की का पता चलते ही गर्भपात करा देते हैं । इसी कारण अस्पतालों में आजकल लिंगभेद की पहचान कराने को अपराध माना जाता है।अभी भी लड़की के जन्म को सहज रुप से नहीं लिया जाता। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर :-
क) जब लेखिका का जन्म हुआ उन दिनों किसी परिवार में लड़की का जन्म लेना अपशगुन माना जाता था। लोग लड़की के जन्म को परिवार के लिए बोझ मानते थे। इसलिए कुछ लोग तो लड़की के पैदा होते ही उसका गला दबाकर उसे मार देते थे। लड़की का जन्म देने वाली मां को भी बुरा भला कहां जाता था तथा उसकी भी ठीक से देखभाल नहीं की जाती थी। परंतु लेखिका का घर इन सब बातों से दूर था। परिवार में बरसों बाद लड़की पैदा होने के कारण उन्होंने बेटी को दिल से स्वीकार किया और उसके जन्म पर ख़ुशियाँ मनाई।
ख) आज समय बदल गया है लोगों की सोच में अंतर आया है। आजकल लड़की और लड़के में कोई अंतर नहीं किया जाता है। लड़की के जन्म पर भी लड़की को जन्म देने वाली मां की अच्छी प्रकार से देखभाल की जाती है। कुछ परंपरावादी परिवार में अभी भी लड़की का जन्म अच्छा नहीं माना जाता है। वह लोग लड़की के पैदा होते ही उसे मार देते हैं ।कुछ लोग गर्भ में लड़की का पता चलते ही गर्भपात करा देते हैं । इसी कारण अस्पतालों में आजकल लिंगभेद की पहचान कराने को अपराध माना जाता है।अभी भी लड़की के जन्म को सहज रुप से नहीं लिया जाता। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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(क) उस समय लड़कियों को अभिशाप समझा जाता था.
(ख) अब लड़कियों को लड़कों के समान समझा जाता है तथा उन्हें लड़कों के समान ही पढ़ाया लिखाया जाता है.
(ख) अब लड़कियों को लड़कों के समान समझा जाता है तथा उन्हें लड़कों के समान ही पढ़ाया लिखाया जाता है.
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