Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 10:
'काली तू .... ऐ आली!' - इन पंक्तियों में 'काली' शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter कैदी और कोकिला

Answers

Answered by nikitasingh79
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कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया  था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।

उत्तर :-
कवि ने अपनी पंक्तियों में काली विशेषण का प्रयोग अति सुंदर ढंग से चमत्कार उत्पन्न करने के लिए किया है। कोयल का रंग काला है तो रात भी काली है। रात के कालेपन में निराशा और पीड़ा का भाव छिपा हुआ है। अंग्रेजी शासन की काली करतूत के कारण देशभक्तों को चोर -लुटेरों के साथ काली काल कोठरी में बंद किया गया था। सारे देश को उन्होंने अपने काले कार्यों से ही गुलाम बना रखा था। अंग्रेजी राज्य की काली सोच और उनकी काली कल्पनाएं हमारे देश के लिए डरावनी थी ।कवि की कालकोठरी भी काली थी ।उसकी टोपी भी काली थी और ओढ़ने वाला कंबल भी काला था। उसको बांधी गई लोहे की जंजीर भी काली थी । पहरे के लिए अंग्रेजों के द्वारा नियुक्त पहरेदार भी काली प्रवृति से युक्त थे, जो दिन रात गालियां देते रहते थे।  कवि ने काली शब्द से चमत्कार की सृष्टि करने में पूरी सफलता पाने के साथ अपने परिवेश को चित्रात्मकता के गुण से प्रकट करने में सफलता प्राप्त की है।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answered by Anonymous
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माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन 1889 ईसवी में मध्य प्रदेश के बावई नामक गांव में हुआ था इनके पिता का नाम पंडित नंदलाल चतुर्वेदी था वह एक अध्यापक के प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने घर पर ही संस्कृत ,बांग्ला, गुजराती ,और अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया कुछ समय तक इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया इसके पश्चात उन्होंने खंडवा से कर्मवीर नामक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया 1913 ईस्वी में इन्होंने प्रसिद्ध मासिक पत्रिका प्रभा का संपादक नियुक्त किया गया चतुर्वेदी जी एक भारतीय आत्मा नाम से लेख और कविताएं लिखते रहें उनकी कविताएं देशप्रेमी युवकों को प्रेरित करती थी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने इन्हें राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया फल स्वरुप उन्होंने कई बार जेल भी जाना पड़ा जेल से बाहर निकलने पर उन्हें साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया गया उनके सम्मान में हरिद्वार में महंत शान्तानंद ने चांदी के रूपये से इनका तुला दान किया इनकी हिंदी सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी लिट की उपाधि तथा भारत सरकार ने पदम विभूषण की उपाधि से विभूषित किया इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश सरकार ने भी उन्हें पुरस्कृत किया 69 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1968 में क्रांतिकारी पंचतत्व में विलीन हो गया

यहां अनुप्रास और यमक दोनों अलंकार है वर्णों की आवृत्ति से अनुप्रास है तथा काली काली में पहली काली का अर्थ रंग और दूसरी का अर्थ वह कुव्यवस्था है
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