question-18वीं सदी के दौरान हल व कुदाल के बीच संघर्ष को पहाडिया व संथालों के नजरिए
से स्पष्ट कीजिए।
Answers
Answer:
पहाड़ी वासी संपादित करें
अठारहवीं शताब्दी के परवर्ती दशकों के राजस्व अभिलेखों पर दृष्टिपात करें तो पता लगता है कि इन पहाड़ी लोगों को 'पहाड़िया' क्यों कहा जाता था। वे राजमहल की पहाड़ियों के इर्द-गिर्द रहा करते थे। वे जंगल की उपज से अपनी गुजर-बसर करते थे और झूम खेती किया करते थे। वे जंगल के छोटे-से हिस्से में झाड़ियों को काटकर और घास-फ़ूँस को जलाकर जमीन साफ कर लेते थे आरै राख की पोटाश से उपजाऊ बनी जमीन पर ये पहाड़िया लोग अपने खाने के लिए तरह-तरह की दालें और ज्वार-बाजरा उगा लेते थे। वे अपने कुदाल से जमीन को थोड़ा खुरच लेते थे कुछ वर्षो तक उस साफ की गई जमीन में खेती करते थे आरै फ़िर उसे कुछ वर्षो के लिए परती छोड़ कर नए इला्के में चले जाते थे जिससे कि उस जमीन में खोई हुई उर्वरता फ़िर से उत्पन्न हो जाती थी।
उन जंगलों से पहाड़िया लोग खाने के लिए महुआ के फ़ूल इकट्ठा करते थे, बेचने के लिए रेशम के कोया और राल और काठकोयला बनाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठा करते थे। पेड़ों के नीचे जो छोटे-छोटे पौधो उग आते थे या परती जमीन पर जो घास-फ़ूस की हरी चादर-सी बिछ जाती थी वह पशुओं के लिए चरागाह बन जाती थी। शिकारियों, झूम खेती करने वालों, खाद्य बटोरने वालों, काठकोयला बनाने वालों, रेशम के कीड़े पालने वालों के रूप में पहाड़िया लोगों की ज़िंदगी इस प्रकार जंगल से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई थी। वे इमली के पेड़ों के बीच बनी अपनी झोपड़ियों में रहते थे और आम के पेड़ों की छाँह में आराम करते थे। वे पूरे प्रदेश को अपनी निजी भूमि मानते थे और यह भूमि उनकी पहचान और जीवन का आधार थी। वे बाहरी लोगों के प्रवेश का प्रतिरोध करते थे। उनके मुखिया लोग अपने समूह में एकता बनाए रखते थे, आपसी लड़ाई-झगड़े निपटा देते थे और अन्य जनजातियों तथा मैदानी लोगों के साथ लड़ाई छिड़ने पर अपनी जनजाति का नेतृत्व करते थे।
Explanation:
support material answer
i hope my answer is little correct