Question 5:
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
Class 9 NCERT Hindi Kshitij Chapter साँवले सपनों की याद
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इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा शैली की चार विशेषताएं निम्नलिखित है :-
१. सरल भाषा :- इस पाठ में लेखक ने बोलचाल के सरल भाषा का उपयोग किया है जैसे - ‘आज सलीम अली नहीं है। चौधरी साहब भी नहीं है। कौन बचा है जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा।’
२. शब्द प्रयोग :- इस पाठ में लेखक ने तत्सम तद्भव देशज तथा विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। जैसे - अग्रसर ,अंतहीन, पलायन ,नैसर्गिक, परिंदे, हुजूम, वादी, सफर ,एहसास, तलाश ,साइलेंट वैली आदि।
३. काव्यात्मकता :- इस पाठ में लेखक की भाषा शैली काव्यात्मक भी हो गई है, जैसे - ‘एहसास की ऐसी ही एक उबड़ खाबड़ जमीन पर जन्मे मिथक का नाम है, सलीम अली’।
४. रोचकता :- इस पाठ में लेखक की भाषा शैली अत्यंत रोचक है। वृंदावन में श्री कृष्ण की लीलाओं का प्रसंग भाषा शैली की रोचकता का सुंदर उदाहरण है, जैसे -’ पता नहीं इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रास लीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भांडे फोड़े थे ।’
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
१. सरल भाषा :- इस पाठ में लेखक ने बोलचाल के सरल भाषा का उपयोग किया है जैसे - ‘आज सलीम अली नहीं है। चौधरी साहब भी नहीं है। कौन बचा है जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा।’
२. शब्द प्रयोग :- इस पाठ में लेखक ने तत्सम तद्भव देशज तथा विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। जैसे - अग्रसर ,अंतहीन, पलायन ,नैसर्गिक, परिंदे, हुजूम, वादी, सफर ,एहसास, तलाश ,साइलेंट वैली आदि।
३. काव्यात्मकता :- इस पाठ में लेखक की भाषा शैली काव्यात्मक भी हो गई है, जैसे - ‘एहसास की ऐसी ही एक उबड़ खाबड़ जमीन पर जन्मे मिथक का नाम है, सलीम अली’।
४. रोचकता :- इस पाठ में लेखक की भाषा शैली अत्यंत रोचक है। वृंदावन में श्री कृष्ण की लीलाओं का प्रसंग भाषा शैली की रोचकता का सुंदर उदाहरण है, जैसे -’ पता नहीं इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रास लीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भांडे फोड़े थे ।’
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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साँवले सपनों की याद एक व्यक्ति चित्र है । इसमें प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी सालिम अली का व्यक्ति चित्र है । सुनहरे पक्षियों के पंख पर सांवले सपनों का एक झुण्ड सवार है । वह मौत की मौन वादियों में जा रहा है । उसमे सबसे आगे सलीम अली है । जी हाँ यह पक्षी प्रेमी मौत की गौद में जा बसे है ।
इस पाठ में सलीम अली के खुले स्वाभाव की बात की गयी है । इस पाठ में बताया गया है की कैसे सलीम अली पक्षी प्रेमी बने । कैसे उन्होंने साइलेंट वैली के पक्षियों को सही सुविधाएं उपलब्ध कराई।
इस पाठ में दूसरे पक्षी प्रेमी डी एच लॉरेंस का भी जिक्र है ।
तथा लेखक को विश्वास ही नहीं हो रहा है की यह पक्षी प्रेमी सच में इस शरीर की छोड़ जा रहा है ।
इस पाठ में सलीम अली के खुले स्वाभाव की बात की गयी है । इस पाठ में बताया गया है की कैसे सलीम अली पक्षी प्रेमी बने । कैसे उन्होंने साइलेंट वैली के पक्षियों को सही सुविधाएं उपलब्ध कराई।
इस पाठ में दूसरे पक्षी प्रेमी डी एच लॉरेंस का भी जिक्र है ।
तथा लेखक को विश्वास ही नहीं हो रहा है की यह पक्षी प्रेमी सच में इस शरीर की छोड़ जा रहा है ।
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