Question 5:
निर्देशानुसारं लकारपरिवर्तनं कुरुत-
यथा- अजीजः परिश्रमी आसीत्। (लट्लकारे)
अजीजः पश्रिमी अस्ति।
(क) अहं शिक्षकाय धनं ददामि। (लृट्लकारे)
...................................
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्स्यति। (लट्लकारे)
...................................
(ग) स्वामी उच्चैः वदति। (लृङ्लकारे)
...................................
(घ) अजीजः पेटिकां गृह्णाति। (लृट्लकारे)
...................................
(ङ) त्वम् उच्चैः पठसि। (लोट्लकारे)
...................................
Class 6 NCERT Sanskrit Chapter अहह आः च
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•विभिन्न कालो तथा अवस्थाओं को लकार कहते हैं।
•संस्कृत में काल बताने के लिए 10 लकारों का प्रयोग होता है। 10 लकारों में पांच लकारों का प्रयोग अधिक होता है। लट्, लङ्, ऌट्, लोट् , विधिलिङ्। लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है। लङ् लकार का प्रयोग भूतकाल के लिए होता है। ऌट् लकार का प्रयोग भविष्य काल के लिए होता है तथा विधिलिङ् लकार का प्रयोग प्रार्थना, आशीर्वाद ,विधि निर्देश आदि में होता है तथा अंत में चाहिए शब्द हो तो विधिलिङ् लकार का प्रयोग होता है।
(क) अहं शिक्षकाय धनं ददामि। (लृट्लकारे)
उत्तराणि :- अहं शिक्षकाय धनं दास्यामि।
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्स्यति। (लट्लकारे)
उत्तराणि :- परिश्रमी जनः धनं प्राप्यति।
(ग) स्वामी उच्चैः वदति। (लृङ्लकारे)
उत्तराणि :- स्वामी उच्चै: अवदत्।
(घ) अजीजः पेटिकां गृह्णाति। (लृट्लकारे)
उत्तराणि :- अजीजः पेटिकां गृहश्यति।
(ङ) त्वम् उच्चैः पठसि। (लोट्लकारे)
उत्तराणि :- त्वम् उच्चै: पठ।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
•संस्कृत में काल बताने के लिए 10 लकारों का प्रयोग होता है। 10 लकारों में पांच लकारों का प्रयोग अधिक होता है। लट्, लङ्, ऌट्, लोट् , विधिलिङ्। लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है। लङ् लकार का प्रयोग भूतकाल के लिए होता है। ऌट् लकार का प्रयोग भविष्य काल के लिए होता है तथा विधिलिङ् लकार का प्रयोग प्रार्थना, आशीर्वाद ,विधि निर्देश आदि में होता है तथा अंत में चाहिए शब्द हो तो विधिलिङ् लकार का प्रयोग होता है।
(क) अहं शिक्षकाय धनं ददामि। (लृट्लकारे)
उत्तराणि :- अहं शिक्षकाय धनं दास्यामि।
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्स्यति। (लट्लकारे)
उत्तराणि :- परिश्रमी जनः धनं प्राप्यति।
(ग) स्वामी उच्चैः वदति। (लृङ्लकारे)
उत्तराणि :- स्वामी उच्चै: अवदत्।
(घ) अजीजः पेटिकां गृह्णाति। (लृट्लकारे)
उत्तराणि :- अजीजः पेटिकां गृहश्यति।
(ङ) त्वम् उच्चैः पठसि। (लोट्लकारे)
उत्तराणि :- त्वम् उच्चै: पठ।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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Explanation:
शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई (l) = √{(r1 – r2)² + h1²}
l = √{(9 - 4)² + 12²}
l = √(25 + 144)
l = √169
l = 13
अतः,कुप्पी को बनाने में लगी टीन की चादर का क्षेत्रफल,S = कुप्पी के छिन्नक के वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल + कुप्पी के बेलनाकार भाग का पृष्ठीय क्षेत्रफल
S = π(r1 + r2)l + 2πr2 h2
S = 22/7 × (9 + 4) × 13 + 2 × 22/7 × 4 × 10
S = 22/7 × 13 × 13 + 2 × 22/7 × 4 × 10
S = 22/7 (169 + 80)
S = 22/7 × 249
S = 5478/7
S = 782 4/7 cm²
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