Question 5:
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
यथा
मातृ (प्रथमा)
माता
मातरौ
मातर:
स्वसृ (प्रथमा)
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मातृ (तृतीया)
मात्रा
मातृभ्याम्
मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)
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स्वसृ (सप्तमी)
स्वसरि
स्वस्रो:
स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)
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स्वसृ (षष्ठी)
स्वसु:
स्वस्रो:
स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी)
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Class 8 NCERT Sanskrit chapter धर्में धमनं पापे पुण्यम्
Answers
•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >> जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।
•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण। कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।
उत्तराणि :-
एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
मातृ (प्रथमा) माता मातरौ मातर:
स्वसृ (प्रथमा) स्वसा स्वसरौ स्वसर:
मातृ (तृतीया) मात्रा मातृभ्याम् मातृभि:
स्वसृ (तृतीया) स्वस्रा स्वसृभ्याम् स्वसृभि:
स्वसृ (सप्तमी) स्वसरि स्वस्रो: स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी) मातरि मात्रो: मातृषु
स्वसृ (षष्ठी) स्वसु: स्वस्रो: स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी) मातु: मात्रो: मातृणाम्
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Answer:-
•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।
•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >> जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।
•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण। कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।
उत्तराणि :-
एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
मातृ (प्रथमा) माता मातरौ मातर:
स्वसृ (प्रथमा) स्वसा स्वसरौ स्वसर:
मातृ (तृतीया) मात्रा मातृभ्याम् मातृभि:
स्वसृ (तृतीया) स्वस्रा स्वसृभ्याम् स्वसृभि:
स्वसृ (सप्तमी) स्वसरि स्वस्रो: स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी) मातरि मात्रो: मातृषु
स्वसृ (षष्ठी) स्वसु: स्वस्रो: स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी) मातु: मात्रो: मातृणाम्
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