India Languages, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

Question 5:
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम्‌
द्विवचनम्‌
बहुवचनम्‌
यथा
मातृ (प्रथमा)
माता
मातरौ
मातर:
स्वसृ (प्रथमा)
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---------------------
---------------------
मातृ (तृतीया)
मात्रा
मातृभ्याम्‌
मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)
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---------------------
---------------------
स्वसृ (सप्तमी)
स्वसरि
स्वस्रो:
स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)
---------------------
---------------------
---------------------
स्वसृ (षष्ठी)
स्वसु:
स्वस्रो:
स्वसृणाम्‌
मातृ(षष्ठी)
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---------------------
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Class 8 NCERT Sanskrit chapter धर्में धमनं पापे पुण्यम्

Answers

Answered by nikitasingh79
21
•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।
•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >>  जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।
•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण। कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।

उत्तराणि :-
                    एकवचनम्‌ द्विवचनम्‌        बहुवचनम्‌
मातृ (प्रथमा)        माता मातरौ           मातर:
स्वसृ (प्रथमा)       स्वसा स्वसरौ            स्वसर:

मातृ (तृतीया)         मात्रा मातृभ्याम्‌          मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)         स्वस्रा स्वसृभ्याम्        स्वसृभि:

स्वसृ (सप्तमी)         स्वसरि स्वस्रो: स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)          मातरि मात्रो:   मातृषु

स्वसृ (षष्ठी)            स्वसु: स्वस्रो:   स्वसृणाम्‌
मातृ(षष्ठी)              मातु: मात्रो: मातृणाम्

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Answered by SweetCandy10
9

Answer:-

•संस्कृत में संबोधन को छोड़कर सात विभक्तियां , 3 लिंग एवं तीन वचन होते हैं ।

•संस्कृत में तीन वचन होते हैं - एकवचन >> जिससे एक वस्तु का बोध हो , द्विवचन >>  जिसमें दो वस्तुओं का बोध हो तथा बहुवचन >> जिससे अनेक वस्तुओं का बोध हो।

•संस्कृत में छह कारक होते हैं - कर्ता, कर्म ,करण, संप्रदान अपादान, अधिकरण। कारक को प्रकट करने के लिए शब्द के साथ जो प्रत्यय जोड़ा जाता है उसे विभक्ति कहते हैं।

उत्तराणि :-

                    एकवचनम्‌ द्विवचनम्‌        बहुवचनम्‌

मातृ (प्रथमा)        माता मातरौ           मातर:

स्वसृ (प्रथमा)       स्वसा स्वसरौ            स्वसर:

मातृ (तृतीया)         मात्रा मातृभ्याम्‌          मातृभि:

स्वसृ (तृतीया)         स्वस्रा स्वसृभ्याम्        स्वसृभि:

स्वसृ (सप्तमी)         स्वसरि स्वस्रो: स्वसृषृ

मातृ (सप्तमी)          मातरि मात्रो:   मातृषु

स्वसृ (षष्ठी)            स्वसु: स्वस्रो:   स्वसृणाम्‌

मातृ(षष्ठी)              मातु: मात्रो: मातृणाम्

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