Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

"Question 7 कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, ""अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।""

Class 10 - Hindi - हरिहर काका Page 19"

Answers

Answered by nikitasingh79
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हरिहर काका के तीन भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका ने 2 शादियां की थी लेकिन उनकी कोई संतान नहीं हुई। दोनों बीवियों के मरने के बाद हरिहर काका ने अपना सारा समय भगवान और भाइयों के परिवार में बिताना शुरू कर दिया। शुरु-शुरु में उनकी बहुत देखभाल होती थी। लेकिन बाद में उन्हें रूखा-सूखा खाने को देते थे या फिर देना ही भूल जाते थे। जिस दिन हरिहर काका ने अपने खेतों पर जाकर अपना अधिकार जमाना उसी दिन से तीनों भाई और महंत उनका भरपूर ध्यान रखने लगे। हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी समझ गए थे कि यह सारा आदर-सत्कार उनके खेतों के कारण है। इसलिए उन्होंने अपने जीवित रहते हुए अपने खेत किसी के भी नाम ना करने से इंकार कर दिया। उसी दिन से उनके भाई और महंत उनके दुश्मन हो गए। हरिहर काका उन लोगों से वह भयमुक्त हो गए थे क्योंकि वह अपनी कीमत जान चुके थे। इसलिए वे अपने खेतों का उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाना चाहते थे। जब तक खेत उनके पास है तब तक सभी उनके आसपास घूम रहे हैं बाद में उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है इस सत्य को उन्होंने जान लिया था। इसलिए वे अपने भाइयों द्वारा मारने की धमकी देने से भी नहीं डरे अर्थात उन्होंने जीवित रहते मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली थी।
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Answered by rajjay1711
97

Answer:

जब काका को असलियत पता चली और उन्हें समझ में आ गया कि सब लोग उनकी ज़मीन जायदाद के पीछे हैं तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए जिन्होंने परिवार वालों के मोह माया में आकर अपनी ज़मीन उनके नाम कर दी और मृत्यु तक तिल-तिल करके मरते रहे, दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। इसलिए उन्होंने सोचा कि इस तरह रहने से तो एक बार मरना अच्छा है। जीते जी ज़मीन किसी को भी नहीं देंगे। ये लोग मुझे एक बार में ही मार दे। अत: लेखक ने कहा कि अज्ञान की स्थिति में मनुष्य मृत्यु से डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मृत्यु वरण को तैयार रहता है।पहले हरिहर काका को अपने महत्व का मूल्य नहीं पता था। लेकिन ठाकुरबारी की घटना के बाद उन्हें अपना मूल्य पता चल गया था। एक तरह से उनके ज्ञानचक्षु खुल गए थे। इसलिए अब उन्हें इतना पता चल गया था कि उन्हें कोई मार नहीं सकता और केवल धमकी दे सकता था। इसलिए उन्हें मृत्यु का भय नहीं था। मृत्यु से डर दिखाने की बजाय वे तो अपने भाइयों को इस बात की चुनौती भी दे डालते हैं कि उन्हें मार कर तो दिखाएँ।

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