Hindi, asked by Rishabhlahera, 1 year ago

quotation on Karat Karat Abhyas ke jadmati hot Sujan......
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Answered by smartyprince
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करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।

रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।’

अर्थात जिस प्रकार कुंए की जगत के पत्थर पर कोमल रस्सी की बार-बार रगड़ पडऩे से वह घिसकर निशान वाला हो जाता है, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास और परिरम करने वाला जड़ या असमर्थ व्यक्ति भी एक न एक दिन सफलता अवश्य पा लेता है। सचमुच, कवि वृंद ने बड़ी ही अनुभव सिद्ध और मार्के की बात कही है। इस उक्ति के माध्यम से उन्होंने बताया है कि अभ्यासी और परिश्रमी व्यक्ति के लिए जीवन में कुछ भी कर पाना असंभव या कठिन नहीं हुआ करता। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि यदि व्यक्ति लगन के साथ निरंतर चलता रहेगा, तो एक न एक दिन अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाएगा। यह अनुभवसिद्ध बात है। कुछ पाने के लिए केवल अच्छा इरादा ही काफी नहीं हुआ करता, उसके लिए निरंतर परिश्रम और अभ्यास भी आवश्यक हुआ करता है। कहावत है कि कुंआ प्यासे के पास चलकर नहीं आया करता, प्यासे को ही चलकर उसके पास पहुंचना पड़ता है। यह चलना ही अभ्यास ओर परिश्रम-रूपी रस्सी है जो सिल यानी पत्थर पर भी सफलता के निशान छोड़ जाया करती है। अत: निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए। यह निंरतर अभ्यास ही सफलता पाने की कुंजी है। अभ्यास-निरत व्यक्ति को सफल होने पर कोई नहीं रोक सकता।

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