रंग बिरंगे फूलों को देख कर कवि क्या वर्णन करता है?
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह, अट नहीं रही है
class-10th Hindi-A Kshitij
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अट नहीं रही है कविता मे कवि फागुन मास कि मादकता एवं सौन्दर्य का वर्णन करते हुए प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहता है कि सब जगह सुंदरता फैली हुई है। रंग-बिरंगे फूल पत्ते इस तरह छा गए है कि मानो वे फगुन के तन मे समा नहीं पा रहे है। फागुन का सौन्दर्य बाहर प्रकट हो रहा हैं।
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