राग यमन में कौन सा स्वर विकृत है
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इस राग का वादी स्वर गंधार, सप्तक के पूर्वांग में होने के कारण यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसलिये यमन का स्वर विस्तार सप्तक के पूर्वांग तथा मंद्र सप्तक में विशेष रूप से उभर कर आता है।
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राग यमन में कौन सा स्वर विकृत है :
राग यमन में पंचम स्वर विकृत है।
व्याख्या :
राग यमन जिसे कल्याण राग के नाम से भी जाना जाता है, यह एक आश्रय राग है। इस राग की विशेषता यह है कि इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग किया जाता है और बाकी सभी स्वर शुद्ध होते हैं। राग यमन में शुद्ध 'म' केवल अवरोह में दो गांधारों के बीच प्रयोग किया जाता है। इसीलिए 'म' पंचम स्वर विकृत है। अन्य स्थानों पर आरोह अवरोह दोनों में तीव्र 'म' का प्रयोग किया जाता है।
राग यमन और कल्याण दोनों एक ही राग के नाम हैं। ये विशुद्ध भारतीय राग था, मुगल काल में इसे राग यमन के नाम से जाना जाने लगा था।
यह राग गंभीर प्रकृति का राग है और इसमें अधिकतर गंभीर भजन या गंभीर गीत गाए जाते हैं।
राग यमन में 'ग' वादी स्वर होता है, और 'नि' संवादी स्वर होता है।
यह राग रात के समय गाया जाने वाला राग है।
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