Hindi, asked by arif1421, 1 year ago

राघव और माता- पिता- सुखी परिवार हमेशा मोबाईल पर--- काम इयरफोन--- माता पिता का मना करना--- राघव का ध्यान न देना---सडक पार करना---कान में इयरफोन---दुर्घटना---सीख|कहानी तयार करो

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Answered by coolthakursaini36
342

राघव नवमी कक्षा में पढ़ता था उसके पिताजी एक डॉक्टर थे तथा माताजी एक गृहिणी थी। वह घर पर तीन ही सदस्य थे उनका छोटा सा परिवार सुखी संसार था। माताजी सुबह का नाश्ता बनाकर राघव को स्कूल भेजती और डॉक्टर साहब भी अपने कार्य पर चले जाते यही दिनचर्या उनकी नियमित रूप से थी।

अचानक एक दिन राघव ने अपनी माता से मोबाइल फोन लेने की जिद पकड़ी उसके पिताजी साफ मना कर रहे थे कि अभी फोन की क्या जरूरत है | लेकिन राघव कहां मानने वाला था। उसकी माता जी ने भी कहा क्या बे इतनी जिद कर रहा है तो ले आओ। अगले दिन राघव के पिताजी उसके लिए एक मोबाइल ले आए।

अब राघव अपने आप में ही मगन रहने लगा | वह मोबाइल के इयरफ़ोन हमेशा अपने कान में लगाए रखता था। उसके माता पिता जी ने उसको कई बार मना किया कि बेटा किसी भी चीज का इतना ज्यादा प्रयोग अच्छा नहीं होता। आजकल ना तो तू पढ़ाई में अपना मन लगा रहा है और जब हम आपको आवाज लगाते हैं और ना ही हमारी बात सुन रहा है इसलिए इसका प्रयोग कम कर दे। लेकिन राघव ने उनकी एक नहीं सुनी।

एक दिन वह किसी काम से कहीं जा रहे थे तो बीच में एक सड़क थी जिसे उन्हें पार करना था।

राघव के माता पिता ने उसे कहा कि बेटा कान से ईयरफोन निकाल दो लेकिन उसने उनकी बात को अनसुना कर दिया। जब वह सड़क पार कर रहा था तो पीछे से ट्रक आया उसके पिताजी ने उसको बड़ी जोर से आवाज लगाई लेकिन कान में इयरफोन होने की वजह से वह सुन नहीं पाया और ट्रक की चपेट में आ गया जिस कारण उसकी टांग टूट गई। बेचारे माता पिता को इस दुर्घटना से बहुत सदमा लगा।

शिक्षा- अपनी मनमानी करना और किसी भी चीज का अत्यधिक प्रयोग हानिकारक होता है।


Answered by krishnabhammar99
64

Answer:

राघव नवमी कक्षा में पढ़ता था उसके पिताजी एक डॉक्टर थे तथा माताजी एक गृहिणी थी। वह घर पर तीन ही सदस्य थे उनका छोटा सा परिवार सुखी संसार था। माताजी सुबह का नाश्ता बनाकर राघव को स्कूल भेजती और डॉक्टर साहब भी अपने कार्य पर चले जाते यही दिनचर्या उनकी नियमित रूप से थी।

अचानक एक दिन राघव ने अपनी माता से मोबाइल फोन लेने की जिद पकड़ी उसके पिताजी साफ मना कर रहे थे कि अभी फोन की क्या जरूरत है | लेकिन राघव कहां मानने वाला था। उसकी माता जी ने भी कहा क्या बे इतनी जिद कर रहा है तो ले आओ। अगले दिन राघव के पिताजी उसके लिए एक मोबाइल ले आए।

अब राघव अपने आप में ही मगन रहने लगा | वह मोबाइल के इयरफ़ोन हमेशा अपने कान में लगाए रखता था। उसके माता पिता जी ने उसको कई बार मना किया कि बेटा किसी भी चीज का इतना ज्यादा प्रयोग अच्छा नहीं होता। आजकल ना तो तू पढ़ाई में अपना मन लगा रहा है और जब हम आपको आवाज लगाते हैं और ना ही हमारी बात सुन रहा है इसलिए इसका प्रयोग कम कर दे। लेकिन राघव ने उनकी एक नहीं सुनी।

एक दिन वह किसी काम से कहीं जा रहे थे तो बीच में एक सड़क थी जिसे उन्हें पार करना था।

राघव के माता पिता ने उसे कहा कि बेटा कान से ईयरफोन निकाल दो लेकिन उसने उनकी बात को अनसुना कर दिया। जब वह सड़क पार कर रहा था तो पीछे से ट्रक आया उसके पिताजी ने उसको बड़ी जोर से आवाज लगाई लेकिन कान में इयरफोन होने की वजह से वह सुन नहीं पाया और ट्रक की चपेट में आ गया जिस कारण उसकी टांग टूट गई। बेचारे माता पिता को इस दुर्घटना से बहुत सदमा लगा।

शिक्षा- अपनी मनमानी करना और किसी भी चीज का अत्यधिक प्रयोग हानिकारक होता है।

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