Hindi, asked by sardanaurvanshi, 11 months ago

"राह कुर्बानियों की न वीरान हो
। तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो"


please discuss the muhavare in it

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Answered by bhatiamona
33

राह कुर्बानियों की न वीरान हो

तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले

फतह का जश्न इस जश्न के बाद है

जिंदगी मौत से मिल रही है गले

बाँध लो अपने सर से कफन साथियों

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

यह पंक्तियाँ कर चले हम फिदा कविता की है | यह कविता  कवि कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखी गई है| कविता में कवि एक वीर सैनिक का अपने देशवासियों को दिए आखिरी सन्देश का वर्णन कर रहा है।

इन पंक्तियों में सैनिक देशवासियों को देश के लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहने को कहते हैं।

कुर्बानियाँ - बलिदान

फतह - जीत

जश्न – ख़ुशी

व्याख्या -  

सैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं ,  परन्तु हमारे बाद यह  मैदान कभी सूना नहीं पड़ना चाहिए। इसमें हम जैसे नौजवान मातृभूमि की रक्षा की ख़ातिर शहीद होने के लिए निरंतर आगे आते रहने चाहिए। इस जंग को जीत कर ही हम जश्न मना पाएंगे। हम ऐसी जंग में जा रहे हैं, जहाँ कभी भी मृत्यु हमें गले लगा सकती है।

अब अपने अंदर से मृत्यु का डर निकाल कर सिर पर कफ़न बाँधकर मौत से मिलने के लिए तैयार हो जाओ। अपने प्यारे वतन की रक्षा तुम्हें हर हाल में करनी है। इसलिए हौसले से डट कर लड़ो साथियों, ये मेरा वतन अब तुम सभी के हवाले है। मैं अपना वतन तुम्हारे हाथों में छोड़ कर जा रहा हूँ|  

Answered by ujjwalrajput62
2

Answer:

कविता में कवि एक वीर सैनिक का अपने देश वासियों को दिए आखिरी संदेश का वर्णन कर रहा है। सैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं , परंतु हमारे बाद यह मैंदान कभी सूना नहीं पड़ना चाहिए ।

Explanation:

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