Hindi, asked by rekhadhayal3492, 10 months ago

रोहित और मोहित बहुत शरारती थे दोनो एक साथ ही स्कूल आया जाया करते थे एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हो गई तब ............. लघु कथा लिखे​

Answers

Answered by satya982185
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*परम मित्र कौन है?*

*एक व्यक्ति था उसके तीन मित्र थे।*

*एक मित्र ऐसा था जो सदैव साथ देता था। एक पल, एक क्षण भी बिछुड़ता नहीं था।*

*दूसरा मित्र ऐसा था जो सुबह शाम मिलता।*

*और तीसरा मित्र ऐसा था जो बहुत दिनों में कभी कभी मिलता था।*

*एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उस व्यक्ति को अदालत में जाना था और किसी कार्यवश साथ में किसी को गवाह बनाकर साथ ले जाना था।*

*अब वह व्यक्ति अपने सब से पहले अपने उस मित्र के पास गया जो सदैव उसका साथ देता था और बोला:-*

*"मित्र क्या तुम मेरे साथ अदालत में गवाह बनकर चल सकते हो ?*

*वह मित्र बोला :- माफ़ करो दोस्त, मुझे तो आज फुर्सत ही नहीं।*

*उस व्यक्ति ने सोचा कि यह मित्र मेरा हमेशा साथ देता था। आज मुसीबत के समय पर इसने मुझे इन्कार कर दिया।*

*अब दूसरे मित्र की मुझे क्या आशा है?*

*फिर भी हिम्मत रखकर दूसरे मित्र के पास गया जो सुबह शाम मिलता था, और अपनी समस्या सुनाई।*

*दूसरे मित्र ने कहा कि :- मेरी एक शर्त है कि मैं सिर्फ अदालत के दरवाजे तक जाऊँगा, अन्दर तक नहीं।*

*वह बोला कि :- बाहर के लिये तो मैं ही बहुत हूँ मुझे तो अन्दर के लिये गवाह चाहिए।*

*फिर वह थक हारकर अपने तीसरे मित्र के पास गया जो बहुत दिनों में मिलता था, और अपनी समस्या सुनाई।*

*तीसरा मित्र उसकी समस्या सुनकर तुरन्त उसके साथ चल दिया।*

*अब आप सोच रहे होंगे कि... वो तीन मित्र कौन हैं ...?*

*तो चलिये, बताते है इस कथा का सार ।*

*जैसे हमने तीन मित्रों की बात सुनी, वैसे हर व्यक्ति के तीन मित्र होते हैं।*

*सब से पहला मित्र है हमारा अपना 'शरीर', हम जहा भी जायेंगे, शरीर रुपी पहला मित्र हमारे साथ चलता है। एक पल, एक क्षण भी हमसे दूर नहीं होता।*

*दूसरा मित्र है शरीर के 'सम्बन्धी' जैसे :- माता - पिता, भाई - बहन, मामा -चाचा इत्यादि, जिनके साथ रहते हैं, जो सुबह - दोपहर शाम मिलते हैं।*

*और तीसरा मित्र है :- हमारे 'कर्म' जो सदा ही साथ जाते हैं।*

*अब आप सोचिये कि आत्मा जब शरीर छोड़कर धर्मराज की अदालत में जाती है, उस समय शरीर रूपी पहला मित्र एक कदम भी आगे चलकर साथ नहीं देता। जैसे कि उस पहले मित्र ने साथ नहीं दिया।*

*दूसरा मित्र - 'सम्बन्धी' श्मशान घाट तक यानी अदालत के दरवाजे तक "राम नाम सत्य है" कहते हुए जाते हैं तथा वहाँ से फिर वापिस लौट जाते हैं।*

*और तीसरा मित्र, कर्म हैं। कर्म जो सदा ही साथ जाते हैं, चाहे अच्छे हो या बुरे।*

*अब अगर हमारे कर्म सदा हमारे साथ चलते हैं तो हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना होगा। अगर हम अच्छे कर्म करेंगे तो किसी भी अदालत में जाने की जरुरत नहीं होगी।*

*अच्छे कर्म करो। खुश रहो, मस्त रहो, स्वस्थ रहो।*

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