राजा शातंन को दूसरा विवाह करने की इच्छा कैसे जाग्रत हुई ?
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Jab unhone ek sundar stri ko Ganga ke tat par dekha to unka man moh gaya...veh sundar stri satyavati thi
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शान्तनु का दूसरा विवाह निषाद कन्या सत्यवती से हुआ था। इस विवाह को कराने के लिए ही देवव्रत ने राजगद्दी पर न बैठने और आजीवन कुँवारा रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की थी,इसी प्रतिज्ञा के कारण शांतनु ने इन्हे इच्छा मृत्यु का वरदान दिया जिसके कारण उनका नाम भीष्म पड़ा। सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र थे।
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