राजेंद्र बाबू ने वर्ष 1914 में सामाजिक कल्याण का कौन सा महत्वपूर्ण कार्य किया था?
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वकालत उन दिनों ऐसा पेशा था जो प्रतिष्ठा और पैसा एक साथ देने लगा था. इस धंधे में सरस्वती और लक्ष्मी जुड़वां बहनों की तरह आ मिलती थीं. कोई डेढ़ घंटे चली इस पहली ही मुलाकात में राजेंद्र बाबू से श्री गोखले ने सारी बातों के बाद आखिर में कहा था, 'हो सकता है तुम्हारी वकालत खूब चल निकले.
राजेंद्र बाबू गोखलेजी से मिलने गए, अपने एक मित्र श्रीकृष्ण प्रसाद के साथ. सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना अभी कुछ ही दिन पहले हुई थी. गोखलेजी उस काम के लिए हर जगह कुछ अच्छे युवकों की तलाश में थे. उन्हें यह जानकारी परमेश्वरजी से मिल गई थी कि ये बड़े शानदार विद्यार्थी हैं. वकालत उन दिनों ऐसा पेशा था जो प्रतिष्ठा और पैसा एक साथ देने लगा था. इस धंधे में सरस्वती और लक्ष्मी जुड़वां बहनों की तरह आ मिलती थीं.
कोई डेढ़ घंटे चली इस पहली ही मुलाकात में राजेंद्र बाबू से श्री गोखले ने सारी बातों के बाद आखिर में कहा था, ‘हो सकता है तुम्हारी वकालत खूब चल निकले.