राज्य अक्सर सांस्कृतिक विविधता के बारे में शंकालु क्यों होते हैं?
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sorry don't know Indian language...
राज्य अक्सर सांस्कृतिक विविधता के बारे में शंकालुता के कारण-
भारत सामुदायिक पहचानो के साथ राष्ट्र-राज्य सम्बन्धो की दृष्टि से भारत स्थिति न तो आत्मसात्करण और न ही एकीकरण की है | राज्यों ने अपने राष्ट्र के लिए राजनीतियों के द्वारा स्थापित करने का प्रयास किया |
अधिकांश राज्य मानते थे कि सांस्कृतिक विवधता खतरनाक है सांस्कृतिक विविधता जैसे भाषा धार्मिकता मान्यता प्रदान किये जाने से सामाजिक विखंडन की स्थिति उत्पन हो जाएगी और समाज के निर्माण में बाधा आएगी |
राष्ट्र -राज्य विकल्प है 'राज्य-राष्ट्र' जहाँ भासायी या देशज पहचानो पर आधारित विभिन्न 'राष्ट्र' एक अकेली राज्य व्यवस्था के अंतर्गत शांति और सहयोगपूर्वक एक साथ रह सकते है
यदद्यपि सांस्कृतिक दृष्टि से विविधतापूर्ण राष्ट्र है पर लम्बे समय से चल रहे लोकतंत्रो जिनमे भारत भी एक है |
भारत विवधता के के बावजूद यह एक सशक्त लोकतंत्र है
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