राजकुमारी रनावली बनी की प्रशंसा आप किस शब्दों में करेंगे?
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राजकुमारी रत्नावती ने मर्दानी पोशाक पहन रखी थी। उसके साथ सहेलियाँ भी उसी की तरह वीरांगना थीं। कुछ विश्वस्त राजपूत वीर भी उसके साथ थे। यवन-सेना जब दुर्ग की दीवार पर चढ़ने का प्रयास करती, तो राजकुमारी दुर्ग की बुर्ज से भारी पत्थर के ढोंके और गर्म तेल डालती थी। इससे शत्रु-सेना घायल होकर पीछे हट जाती थी। यदि कोई शत्रु-सैनिक साहस करके प्राचीर तक पहुँच जाते, तो राजकुमारी उन्हें तलवार से मौत के घाट उतार देती थी। वह रात में स्वयं कुछ सहेलियों के साथ प्राचीर पर बैठी रहती। रात में कोई शत्रु दिखाई देता, तो तीर से उसे मार गिराती थी। उसने बड़ी चतुराई से यवन सेनापति को बन्दी बना दिया था। उससे पहले शत्रुओं के गुप्तचर को मार दिया था। इस तरह का रण-कौशल दिखाकर राजकुमारी ने यवन-सेना को विवश कर दिया था।
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