(रोजलिन् आगत्य बालैः साक स्वक्षिप्तमवकरम् मार्गे विकीर्णमन्यदकरं चापि संगृह्य अवकरकण्डोले पातयति)
बालाः – एवमेव जागरूकतया एव प्रधानमंत्रिमहोदयानां स्वच्छताऽभियानमपि गतिं प्राप्स्यति।
विनयः – पश्य पश्य तत्र धेनुः शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति। यथाकथञ्चित् निवारणीया एषा (मार्गे कदलीफलविक्रेतारं दृष्ट्वा बालाः कदलीफलानि क्रीत्वा धेनुमाहवयन्ति भोजयन्ति च, मार्गात् प्लास्टिकस्यूतानि चापसार्य पिहिते अवकरकण्डोले क्षिपन्ति)
सरलार्थः – (रोजलिन् आकर बच्चों के साथ अपने द्वारा फेंके गए कूड़े को और रास्ते में बिखेर हुए दूसरे कूड़े को भी इकट्ठा करके कूड़ेदान में डालती है।)
बच्चे – ऐसी ही जागरूकता से प्रधानमंत्री महोदय का स्वच्छता अभियान भी गति प्राप्त करेगा।
विनय – देखो-देखो वहाँ गाय साग-फलों के छिलकों के साथ प्लास्टिक की थैली को भी खा रही है। इसे किसी भी तरह से रोकना चाहिए। (रास्ते में केले बेचनेवाले को देखकर बच्चे केलों को खरीदकर गाय को बुलाते हैं और खिलाते हैं और रास्ते से प्लास्टिक की थैलियों को हटाकर ढके हुए कूड़ेदान में डालते हैं।)
शब्दार्थ: स्वक्षिप्तम्-अपने फेंके हुए। अवकरम्-कूड़े को। विकीर्णम्-बिखरे हुए। अन्यत्-अवकरम्-दूसरे कूड़े को। संगृह्य-इकट्ठा करके। अवकर कण्डोले-कूड़ादान में। पातयति-डालते हैं। जागरूकतया-जागरूकता से। गतिम्-गति को प्राप्स्यति-प्राप्त करेगा। शाकफलानामावरणैः सह-सब्जी-फलों के छिलकों के साथ। स्यूतम्-थैली को। यथाकथञ्चित्-जैसे-कैसे करके (जिस किसी प्रकार से)। निवारणीया-रोकी जानी चाहिए। कदलीफल विक्रेतारम्-केला बेचनेवाले को। क्रीत्वा-खरीदकर। आह्वयन्ति-बुलाते हैं। भोजयन्ति-खिलाते हैं। स्यूतानि-प्लास्टिक की थैलियों को। अपसार्य-हटाकर के। पिहिते-ढके हुए। क्षिपन्ति-डालते हैं।
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