राजनीति हेतु नेताओं का शिक्षित होना अनिवार्य पर निबंध
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शिक्षा का जीवन बहुत महत्व है। जिस प्रकार गाड़ी चलाने के लिए ड्राइ¨वग लाइसेंस होना चाहिए, उसी तरह देश की गाड़ी चलाने के लिए व शिक्षित होना भी जरूरी है। चाहे वह गांव का पंच-सरपंच हो या फिर विधायक, सांसद या पार्षद ही क्यों न हो। यही सांसद मंत्री बनकर देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर विकास कार्य करने में सक्षम होंगे।
इस संबंध में लायंस क्लब के अध्यक्ष इकबाल ¨सह ट्रांसपोर्टर ने कहा कि विधायक कम से कम सीनियर सेकेंडरी या ग्रेजुएट होना चाहिए। क्योंकि पढ़े लिखे आदमी की सोच से देश तरक्की की राह पर अग्रसर रहेगा। शिक्षा के साथ- स्वभाव पर अच्छा असर रहता है। वह व्यक्ति लोगों से मिलनसार, समाज के प्रति व सभी धर्मों के प्रति तथा जातपात में विश्वास न रखने में विश्वास रखता है।
प्रोफेसर गुरमुख ¨सह संधू ने कहा कि शिक्षा हमारे जीवन का श्रृंगार है। जब पढ़ा लिखा पार्षद, सांसद या मंत्री होगा तो पूरे विश्व में हमारा नेतृत्व करना आसान होगा। किसी समय पंजाब में सिर्फ तीन विश्वविद्याल्य थे। अब इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। यदि हाईकोर्ट के आदेशों को लागू किया जाए तो यह मील का पत्थर साबित होगा। मंत्री पद भी पढ़ाई के हिसाब से ही तय किया जाए। जैसे डाक्टर को हेल्थ, वकील को न्याय व खिलाड़ी को खेल मंत्रालय दिया जाए। रमन मल्होत्रा का कहना है कि पढ़ाई होना तो जरूरी है, मगर इसके साथ में यह देखना भी जरूरी है कि हमारी पढ़ाई प्रेक्टिकल काम में लाने योग्य है। यहां स्किल एजुकेशन भी उतना महत्व रखती है। यदि हाईकोर्ट नेताओं पर पढ़ाई की न्यूनतम सीमा तय करता है तो पढ़ाई का स्तर भी उसी हिसाब से तय हो।
अशोक वर्मा ने कहा कि पढ़ा लिखा नेता ही देश को प्रगति के पथ पर ले जा सकता है। पंजाब में नेताओं ने ही पढ़ाई को व्यापार बना रखा है। नकली डिग्रियां लेकर पढ़े लिखे बनने से अनपढ़ अच्छे।
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