Political Science, asked by renugoswami929, 11 months ago

राजनीती के अधययन की गाँधीवादी दृषटीकोन की वखया कीजीए और इसके मुखय ततवों की पहचान कीजीए 500 शबद में.​

Answers

Answered by RAthi21
4

hello!

____

गांधीवादी विचारधारा महात्मा गांधी द्वारा अपनाई और विकसित की गई उन धार्मिक-सामाजिक विचारों का समूह जो उन्होंने पहली बार वर्ष 1893 से 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में तथा उसके बाद फिर भारत में अपनाई थी।

गांधीवादी दर्शन न केवल राजनीतिक, नैतिक और धार्मिक है, बल्कि पारंपरिक और आधुनिक तथा सरल एवं जटिल भी है। यह कई पश्चिमी प्रभावों का प्रतीक है,

जिनको गांधीजी ने उजागर किया था, लेकिन यह प्राचीन भारतीय संस्कृति में निहित है तथा सार्वभौमिक नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों का पालन करता है।

यह दर्शन कई स्तरों आध्यात्मिक या धार्मिक, नैतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, व्यक्तिगत और सामूहिक आदि पर मौजूद है।

आध्यात्मिक या धार्मिक तत्व और ईश्वर इसके मूल में हैं।

आध्यात्मिक या धार्मिक तत्व और ईश्वर इसके मूल में हैं।मानव स्वभाव को मूल रूप से सद्गुणी है।

आध्यात्मिक या धार्मिक तत्व और ईश्वर इसके मूल में हैं।मानव स्वभाव को मूल रूप से सद्गुणी है।सभी व्यक्ति उच्च नैतिक विकास और सुधार करने के लिये सक्षम हैं।

गांधीवादी विचारधारा आदर्शवाद पर नहीं, बल्कि व्यावहारिक आदर्शवाद पर ज़ोर देती है।

गांधीवादी दर्शन एक दोधारी तलवार है जिसका उद्देश्य सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के अनुसार व्यक्ति और समाज को एक साथ बदलना है।

गांधीजी ने इन विचारधाराओं को विभिन्न प्रेरणादायक स्रोतों जैसे- भगवद्गीता, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, बाइबिल, गोपाल कृष्ण गोखले, टॉलस्टॉय, जॉन रस्किन आदि से विकसित किया।

टॉलस्टॉय की पुस्तक 'द किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू' का महात्मा गांधी पर गहरा प्रभाव था।

गांधीजी ने रस्किन की पुस्तक 'अंटू दिस लास्ट' से 'सर्वोदय' के सिद्धांत को ग्रहण किया और उसे जीवन में उतारा।

इन विचारों को बाद में "गांधीवादियों" द्वारा विकसित किया गया है,

विशेष रूप से, भारत में विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण तथा भारत के बाहर मार्टिन लूथर किंग जूनियर और अन्य लोगों द्वारा।

Similar questions