Social Sciences, asked by pradeepbhagwatbhagwa, 6 months ago

राजनीतिक पार्टी और पार्टी प्रणाली के बीच अंतर को स्पष्ट करे? आज पार्टी प्रणाली के सामने
प्रमुख चुनौतियां क्या है

Answers

Answered by skyfall63
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"राजनीतिक विज्ञान" के अनुसार एक पार्टी प्रणाली "राजनीतिक दलों" द्वारा "लोकतांत्रिक देश" में सरकार प्रणाली की चिंता करती है। सिद्धांत यह है कि राजनीतिक दलों में "बुनियादी समानताएं" होती हैं: उनके पास एक नीति जनादेश होता है, एक मजबूत जन समर्थन आधार होता है और धन, सूचना और नामांकन के लिए आंतरिक प्रबंधन संरचनाएं स्थापित करता है। विभिन्न प्रकार के पार्टी सिस्टम जैसे एकल पार्टी सिस्टम, मल्टीपार्टी हैं प्रणाली, दो पार्टी प्रणाली, गैर-पक्षपातपूर्ण प्रणाली, और प्रमुख पार्टी प्रणाली।

एक पॉलिटिकल पार्टी ऐसे लोगों का एक एकीकृत समूह है, जो उन्हें निर्वाचित करने के प्रयास में है, जिससे पार्टी का मंच तैयार होता है, एक ही विचारधारा को साझा करते हैं या अन्यथा समान राजनीतिक पदों पर रहते हैं। ये संसदीय लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं। एक राजनीतिक दल पार्टी प्रणाली का हिस्सा है। कई देशों में कई मुख्य राजनीतिक दल हैं, जैसे जर्मनी और भारत, और चीन और क्यूबा सहित कुछ देशों में एक-पार्टी के शासन हैं। वास्तविकता में अमेरिका दो-पक्षीय सरकार बना हुआ है, हालांकि अभी भी कई छोटे दल हैं।

Explanation:

पार्टी प्रणाली के सामने विभिन्न चुनौतियाँ हैं

  1. आंतरिक लोकतंत्र की कमी: प्रत्येक पार्टी सदस्य के पास निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का बहुत कम अवसर होता है। निर्णय लेने से पहले, प्रत्येक प्रतिभागी से परामर्श नहीं किया जाता है। कोई उचित एसोसिएशन या सदस्यता रजिस्ट्री उपलब्ध नहीं है। सत्ता कुछ शीर्ष नेताओं के पास है जो सामान्य सदस्यों को शामिल नहीं कर सकते हैं। साधारण सदस्यों को पार्टी के आंतरिक कामकाज के बारे में कोई जानकारी नहीं हो सकती है।
  2. राजवंशीय उत्तराधिकार: पार्टी के सभी पद अपने परिवार के सदस्यों के साथ कुछ राजनीतिक अधिकारियों के हाथों में जाते हैं। ऐसे नेता योग्य नहीं हो सकते हैं, जो अपनी नौकरी / पदों को धारण करने या सक्षम होने के योग्य हों।
  3. मुद्रा और स्नायु शक्ति: पार्टी की छवि को सार्वजनिक करने के लिए धन का उपयोग प्रदर्शनों, भाषणों और सार्वजनिक बैठकों को आयोजित करने के लिए किया जाता है। पार्टियां उन उम्मीदवारों का चयन करती हैं जो पार्टी के लिए धन जुटाने और "अपने पैसे से" चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। कई बार पार्टियां अपराधियों के उम्मीदवारों का समर्थन कर सकती हैं क्योंकि वे आसानी से चुनाव जीत सकते हैं।
  4. दूसरों के लिए सार्थक विकल्प: अधिकांश "राजनीतिक दलों" में समान "वैचारिक और मौलिक" मुद्दे हैं। "मतदाताओं" के पास "सार्थक विकल्प" नहीं है। यहां तक ​​कि "नेता" "बदलते दलों" को रखते हैं, जिससे मतदाता को "भ्रमित" किया जाता है।

अधिक जानने के लिए

संख्या के आधार पर पार्टी प्रणाली के वर्गीकरण पर चर्चा करें ...

brainly.in/question/6892938

Answered by Anonymous
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Answer:

राजनीतिक पार्टी और पार्टी प्रणाली के बीच अंतर

Explanation:

राजनैतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी [[विचारधारा]में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धान्त या लक्ष्य प्राय: लिखित दस्तावेज़ के रूप में होता है

भारत के राजनैतिक दलों को निम्न आधार पर बांंट सकते है-  

प्रभावक्षेत्र के आधार पर  राष्ट्रीय दल- जिनका प्रभाव राष्ट्रव्यापी हो। उदा.- भाजपा, कांग्रेस आदि

क्षेत्रीय दल- जिनका प्रभाव किसी क्षेत्र/राज्य विशेष पर हो। उदा.- द्रमुक, तेदेपा, बीजद आदि।

विचारधारा के आधार पर  प्रतिक्तियावादी दल- जो प्राचीन रीतियों से बंधे रहना चाहते है, उदाहरणार्थ- भाजपा, शिवसेना आदि

उदारवादी दल- जो वर्तमान शासन प्रणाली में धीरे-धीरे परिवर्तन करना चाहते होंं, उदा.- कांग्रेस, राकांपा आदि

विप्लवकारी दल- जो वर्तमान व्यवस्था के स्थान पर नई व्यवस्था लाना चाहते हो, उदा.- माकपा, भाकपा आदि।

मान्यता के आधार पर  मान्यता प्राप्त दल , पंजीकृत दल

राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हैं :  

(क) आंतरिक लोकतंत्र की कमी : यह ठीक है कि लोकतंत्र राजनीतिक दलों की सहायता से चलता है परंतु राजनीतिक दलों में ही आंतरिक लोकतंत्र की कमी है । साधारणतया दलों में सत्ता एक अथवा दो नेताओं के हाथ में ही होती है । यहां तक कि यह अपने दल में हमेशा चुनाव भी नहीं करवाते हैं तथा यह सदस्यता रजिस्टर भी नहीं रखते हैं। साधारण सदस्यों को तो दल के आंतरिक मामलों की कोई सूचना भी नहीं होती है तथा सदस्य आमतौर पर केंद्रीय नेता गणों से असंतुष्ट ही रहते हैं।  

(ख) वंशवाद : आज का राजनीतिक दल जो सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं वह है वंशवाद की चुनौती। इन दलों की कार्यप्रणाली में कोई पारदर्शिका नहीं होती है इसलिए दलों के नेता अपने परिवार के सदस्यों विशेषतया पत्नी तथा पुत्रों को अधिक लाभ देने के प्रयास करते हैं। राजनीतिक दल तो एक ही परिवार द्वारा नियंत्रित किए जाते हम उदाहरण ले सकते हैं । हम उदाहरण ले सकते हैं एसएडी , आरजेडी , आईएनएलडी , नेशनल कॉन्फ्रेंस , डीएमके इत्यादि की।  

(ग) धन तथा अपराधिक तत्वों की घुसपैठ :  आजकल राजनीतिक दल एक और चुनौती का सामना कर रहे हैं तथा वह है धन तथा अपराधिक तत्वों के बढ़ते प्रभाव की विशेषतया चुनाव के समय। आजकल दल उस सदस्य को अपना उम्मीदवार बनाने का प्रयास करते हैं जो या तो अमीर है या उसके पर अधिक मात्रा में कार्य करने वाले कार्यकर्ता मौजूद है। इसलिए ही कई केसों में तो राष्ट्रीय दल अपराधियों को ही टिकट दे देते हैं । दल चुनाव में बहुमत जीतने का प्रयास करते हैं तथा वह धन तथा अपराधियों की सहायता से चुनाव जीतते हैं।  

(घ) विकल्पहीनता की स्थिति :  राजनीतिक दल उन समस्याओं के बारे में चर्चा करते हैं जिनका देश सामना करता है तथा यह अपनी नीतियों के बारे में भी बताते हैं जो इन समस्याओं को सुलझाने में सहायक होती है। यह साधारण जनता को बताते हैं कि उनकी नीतियां और दलों से बेहतर है। परंतु यह दल देश द्वारा सामना किए जाने वाले समस्याओं के मुद्दों पर सहमत होती हैं। अंतर केवल किसी मुद्दे को प्राथमिकता देने का होता है । सभी राजनीतिक दल एक जैसे ही है इसलिए जनता के सामने विकल्पहीनता की स्थिति होती है।

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