Hindi, asked by Archie6048, 1 year ago

राजनीतिक दखल शिक्षा की गुणवत्ता में बाधक हैNeed matter of this in favor

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Answered by PratikRatna
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राजनीतिक दखल शिक्षा की गुणवत्ता में बाधक हैं। इस वक्तव्य में कोई संशय नहीं है। शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति करना शिक्षा के स्तर को निःसंदेह ही गिराता हैं। भारत में 'शिक्षा का अधिकार' को सन् 2002 में मौलिक अधिकारों की श्रेणी में लाया गया था जिसके तहत 6 से 14 वर्ष की आयु तक के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान हैं। परंतु विगत कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में राजनैतिक सक्रियता बढ़ी हैं जिसकी वजह से निःशुल्क शिक्षा की योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ें हैं। राजनीति से प्रेरित होकर कभी नियम बनाए जाते हैं कि 8वीं तक के बच्चें परीक्षा में अनुत्तीर्ण हीं नहीं होंगे तो कभी पाठ्यक्रमों में बदलाव भी राजनीति से प्रेरित होकर हीं की जाती हैं। कुछ भ्रष्ट लोग तो शिक्षा विभाग को एक व्यापार की भांति इस्तेमाल भी करतें हैं तो कुछ भ्रष्ट लोग सरकार द्वारा दिए गए शिक्षा विभाग के योजनाओं की राशि का भी गबन कर लेतें हैं। कुछ लोग शिक्षा की उन्नति की बात तो करतें हैं पर उसपर अमल नहीं करतें हैं।

Answered by bhatiamona
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Answer:

राजनीतिक दखल शिक्षा की गुणवत्ता में बाधक है , मैं इस वाक्य से बिलकुल सहमत हूँ , और मेरे विचार यह है |  

आज शिक्षा के नाम में लोग और व्यापार पर राजनीतिक जैसे खेल खेलते है|

स्कूल और कॉलेज दाखिला लेने के लिए बड़े लोग राजनीतिक का सहारा लेते हो और आम लोग पीछे रह जाते है | पेपरों में भी पैसे या रिश्वत दे कर आसानी से अपना काम करवा लेते है | अध्यापकों द्वारा बच्चों को ट्यूशन देना एक व्यापार जैसा हो गया है | सही शिक्षा और सच्चाई अब रह नहीं गई है , सब राजनीति में बदलता जा रहा है |  पैसे के दम पर सब खेल खेले जाते है| राजनीति के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ गई है सब खेल लगता है |  

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