History, asked by stargirl2060, 11 months ago

राजस्थान में जनजागृति के क्या कारण थे?

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Answered by Anonymous
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Answered by shishir303
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राजस्थान में जनजागृति के निम्नलिखित कारण थे...

स्वामी दयानंद सरस्वती और उनका प्रभाव — स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना करके स्वदेशी और स्वराज्य का बिगुल फूंक दिया था। स्वदेशी और स्वराज्य का आरंभ करने वाले पहले वे समाज सुधारक थे। 1865 में उन्होंने राजस्थान के जयपुर, अजमेर व करौली आदि जगहों पर स्वदेशी और स्वराज्य तथा स्वधर्म का संदेश दिया। जिसे वहाँ के शासक और जनता का पूर्ण समर्थन मिला। 1888 से 9890 की अवधि के बीच राजस्थान में आर्य समाज की अनेक शाखाएं स्थापित की गईं। इस तरह स्वामी दयानंद सरस्वती के कार्यों ने राजस्थान में एक जन जागृति पैदा की।

समाचार पत्रों व साहित्य का योगदान — राजस्थान में जन जागरण हेतु अनेक समाचार पत्र का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। राजपूताना गजट, राजस्थान समाचार प्रारंभिक समाचार पत्र थे, जो लोगों में जनजागृति का कार्य करते थे। 1920 में विजय सिंह पथिक ने राजस्थान केसरी नाम का प्रकाशन आरंभ किया और अंग्रेजो के खिलाफ अपनी विरोध का झंडा बुलंद किया। इसके अतिरिक्त 1922 में राजस्थान सेवा संघ ने नवीन राजस्थान नामक अखबार निकालकर किसानों के आंदोलन की आवाज उठाई। 1943 में नवज्योति, 1939 में नवजीवन, 1935 में जयपुर समाचार और 1943 में लोकवाणी आदि अनेक समाचार पत्रों ने राजस्थान में जन जागरण के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी कालक्रम में लोगों में चेतना फैलाने हेतु अनेक प्रेरणादायी साहित्य की भी रचना हुई। जिनमें केसरी सिंह बारहठ, जयनारायण व्यास, पं. हीरालाल शास्त्री आदि का नाम प्रमुख है।

मध्य वर्ग की भूमिका — राजस्थान के मध्य वर्ग में भी जनचेतना का प्रादुर्भाव हो चुका था। आधुनिक शिक्षा के साथ उसमें जनजागृति और चेतना का विकास होता गया और योग्य नेतृत्व मिलते ही यह मध्यवर्ग और मुखर हो उठा। यह योग्य नेतृत्व अनेक शिक्षक, वकील, और पत्रकार वर्ग के रूप में आया। इसमें जय नारायण व्यास, मास्टर भोलानाथ, मेघराम वैद्य, अर्जुन लाल, विजय सिंह पथिक आदि के नाम प्रमुख थे।

प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव — राजस्थान के ज्यादातर रियासतों ने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो की तरफ से भाग लिया था। जो सैनिक लौट कर आए उनमें क्रांति कारी विचारों का जन्म हो चुका था। दूसरी ओर अंग्रेजों ने युद्ध का भार भी भारतीय जनता पर डाल दिया था जिसे भारतीय जनता अंग्रेजों के विरुद्ध मुखर होती गई।

बाहरी वातावरण का प्रभाव —  राजस्थान से बाहर भारत के अन्य क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी और राजनीतिक गतिविधियां आरंभ हो चुकी थी। स्वतंत्रता से संबंधित अनेक आंदोलनों ने होने लगे थे। जिसका प्रभाव राजस्थान के लोगों पर भी पड़ने लगा और उनमें भी जन चेतना जागने लगी।

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