राजस्थान में पाई जाने वाली कुछ वनस्पतियों के औषधीय उपयोग बताइये।
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खेजड़ी के फूलों को चीनी में मिलाकरे गर्भपात रोकने के लिए दवा के रूप में उपयोग करते हैं। रोहिड़ा की पत्तियों से यकृत वे प्लीहा का रोग ठीक किया जाता है। यह नेत्रों के लिए भी लाभदायक है। इसके साथ ही यह कृमिहर, रक्त शोधक, मूत्र संग्राहक, योनिवस्त्रावहर, अग्निदीपक तथा विषहर होती है। पलास के पत्तों से संग्रहणी व खांसी का उपचार होता है, इसके बीज कृमिनाशक, जड़ रतौंधी व नेत्र की फूली को नष्ट करती है तो फूल कफ, पित्त व दाद को ठीक करता है।
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Answer:खेजड़ी के फूलों को चीनी में मिलाकरे गर्भपात रोकने के लिए दवा के रूप में उपयोग करते हैं। रोहिड़ा की पत्तियों से यकृत वे प्लीहा का रोग ठीक किया जाता है। यह नेत्रों के लिए भी लाभदायक है। इसके साथ ही यह कृमिहर, रक्त शोधक, मूत्र संग्राहक, योनिवस्त्रावहर, अग्निदीपक तथा विषहर होती है। पलास के पत्तों से संग्रहणी व खांसी का उपचार होता है, इसके बीज कृमिनाशक, जड़ रतौंधी व नेत्र की फूली को नष्ट करती है तो फूल कफ, पित्त व दाद को ठीक करता है।
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