रिक्षावाले पर निबंध in points
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रिक्शावाला बहुत कठिन जीवन व्यतीत करता है। उसके जीवन में दरिद्रता और कमी के सिवा कुछ नहीं। वह फटा एवं गन्दा वस्त्र पहनता है। वह सबसे सस्ता भोजन करता है। वह सडकों पर, अपने रिक्शे पर या किसी मकान के बाहरी बरामदे या छज्जे के अंदर सोता है। उसका रिक्शा तक भी उसका अपना नहीं होता। सामान्यत: वह इसे किसी धनी रिक्शा के मालिक से किराए पर लेता है। रिक्शा-मालिक को वह प्रतिदिन कुछ रकम अदा करता है। कभी-कभी उसकी दैनिक आमदनी पूरा किराया देने की रकम से भी कम पड जाती है। उसकी आमदनी एक-सी नहीं रहती। विवाहों, सम्मेलनों, त्योहारों इत्यादि अवसरों पर वह अच्छा कमा लेता है। फिर भी, उसकी औसत आमदनी से मुश्किल से दो या तीन आदमी गुजर कर सकते है।
रिक्शावाले का जीवन कष्टमय होता है। उसे सुबह से शाम तक खटना पडता है। सभी मौसमों में उसे प्रतिदिन अपना रिक्शा निकालना है। घोर वर्षा, झुलसानेवाली धूप तथा कंपाने\वाली सर्दी उसके लिए कोई अर्थ नहीं रखती। रिक्शावाले अधिकतर अनपढ होते हैं। लेकिन, सामान्यत: वे सरल एवं दब्बू होते । अधिकांश रिक्शावाले शराब और जुआ के आदी होते हैं। इस प्रकार वे अपने स्वास्थ्य को नष्ट करते हैं और कष्ट सहकर कमाए हुए अपने पैसे भी बरबाद करते हैं। दरिद्रता और रोग उसके आजीवन साथी बन जाते हैं। (you can make points from this para.)