रिक्तस्थानानाम् पूर्तिः विधेया-
(क) पौराणिकास्तु .............. द्वीपानि वदन्ति
(ख) सप्त ............. सप्तकुलाचलान् वदन्ति
(ग) ..................... जम्बुद्वीपस्यावरक:
(घ) स्वर्गभूमि ............... वदन्ति
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संस्कृत में लट् , लिट् , लुट् , लृट् , लेट् , लोट् , लङ् , लिङ् , लुङ् , लृङ् – ये दस लकार होते हैं। वास्तव में ये दस प्रत्यय हैं जो धातुओं में जोड़े जाते हैं। इन दसों प्रत्ययों के प्रारम्भ में 'ल' है इसलिए इन्हें 'लकार' कहते हैं (ठीक वैसे ही जैसे ॐकार, अकार, इकार, उकार इत्यादि)। इन दस लकारों में से आरम्भ के छः लकारों के अन्त में 'ट्' है- लट् लिट् लुट् आदि इसलिए ये टित् लकार कहे जाते हैं dil main ho tum sansoun mein tum pehli nazar se hw yaarannajsjsjsjjsjsjjshdhdhdjnxnxnncncncnhfydjsknsnsnjdjdjjdjd
रिक्तस्थानानाम् पूर्तिः विधेया-
(क) पौराणिकास्तु .............. द्वीपानि वदन्ति
उत्तरम्-> पौराणिकास्तु ......सप्त........ द्वीपानि वदन्ति| (पौराणिक तो सात द्वीप बोलते हैं)
(ख) सप्त ............. सप्तकुलाचलान् वदन्ति|
उत्तरम्-> सप्त .......पर्वतान्...... सप्तकुलाचलान् वदन्ति| (सात पर्वतों को सात कुल कहते हैं)
(ग) ..................... जम्बुद्वीपस्यावरक:|
उत्तरम्-> ........ लवणो............. जम्बुद्वीपस्यावरक:|
(घ) स्वर्गभूमि ............... वदन्ति|
उत्तरम्-> स्वर्गभूमि ......कुर्शीति......... वदन्ति|
प्रस्तुत पाठ संस्कृत की पाठ्य पुस्तक के अष्टम: पाठ: से लिया गया है जिसका नाम भू-विभाग: है|