र.
मैं
घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
Answers
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
भावार्थ ➲ इस कविता का नाम ‘एक तिनका’ है, और इसके कवि ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध’ हैं। कवि ने ‘मैं’ शब्द का प्रयोग ‘घमंडी’ के लिये किया गया है, जो अपनी घमंड में ही रहता है। वो घमंडी कवि स्वयं है, इस प्रकार कवि ने ‘मैं’ का प्रयोग स्वयं के लिये किया है। कवि अपने घर की मुंडेर पर अकड़ के साथ खड़ा अपने घमंड का प्रदर्शन कर रहा था। कि अचानक कवि की आँखों मे एक तिनका चला गया। आँखों में तिनका पड़ने पर कवि को बेहद तकलीफ हुई और उसकी आँखे लाल हो गयीं और दुखने लगीं। फिर कवि को बेहद कष्ट होने लगा और तब लोगों ने उसकी मदद की। कवि की आँख से तिनका निकालने के लिये लोगों ने कपड़े का उपयोग किया, जिसकी सहायता से धीरे-धीरे तिनका निकाला गया।
कवि इस कविता और इन पंक्तियों के माध्यम से ये संदेश देना चाहता है कि कभी भी किसी को अपनी शक्ति पर घमंड नही करना चाहिये, क्योंकि एक मामूली सा तिनका भी किसी का घमंड आसानी से चूर कर सकता है।
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Answer:
is Kavita Mein Kavi Kahana Chahta Hai Ki Ek Din ghamand Mein aith ker Munde par jakar khada hota hai tabhi Achanak do se udkar ek tin Ka uski Aankh Mein Pad jata hai
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