Hindi, asked by raginiminz10, 9 months ago

राम की शक्ति पुजा का सारांश​

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Answered by thekinjal
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राम की शक्तिपूजा, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित [1] काव्य है। निराला जी ने इसका सृजन २३ अक्टूबर १९३६ को सम्पूर्ण किया था। कहा जाता है कि इलाहाबाद से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र 'भारत' में पहली बार 26 अक्टूबर 1936 को उसका प्रकाशन हुआ था। इसका मूल निराला के कविता संग्रह 'अनामिका' के प्रथम संस्करण में छपा।

यह कविता ३१२ पंक्तियों की एक ऐसी लम्बी कविता है, जिसमें निराला जी के स्वरचित छंद 'शक्ति पूजा' का प्रयोग किया गया है। चूँकि यह एक कथात्मक कविता है, इसलिए संश्लिष्ट होने के बावजूद इसकी सरचना अपेक्षाकृत सरल है। इस कविता का कथानक प्राचीन काल से सर्वविख्यात रामकथा के एक अंश से है। इस कविता पर वाल्मीकि रामायण और तुलसी के रामचरितमानस से कहीं अधिक बांग्ला के कृतिवास रामायण का प्रभाव देखा जाता है। किन्तु कृतिवास और राम की शक्ति पूजा में पर्याप्त भेद है। पहला तो यह की एक ओर जहां कृतिवास में कथा पौराणिकता से युक्त होकर अर्थ की भूमि पर सपाटता रखती है तो वही दूसरी ओर राम की शक्तिपूजा में कथा आधुनिकता से युक्त होकर अर्थ की कई भूमियों को स्पर्श करती है। इसके साथ साथ कवि निराला ने इसमें युगीन-चेतना व आत्मसंघर्ष का मनोवैज्ञानिक धरातल पर बड़ा ही प्रभावशाली चित्र प्रस्तुत किया है।

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