'राम - लक्ष्मण - परशुराम संवाद'के आधार पर "मातु पितहि जनि सोचबस करसि
हो चुका महीस किसोर" पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए |
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मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीस किसोर। गर्भन्ह के अर्भक दलन पस्तु मारे अति घोर।। उत्तर- परशुराम अपने बारे में सभा मे कहते है कि वह ब्रहचारी व अत्यंत क्रोधी स्वभाव के है।
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