राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता किस की स्थापना है?
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समस्त संसार में विख्यात शिवजी का यह धनुष क्या धनुहियां के समान है। राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का भावार्थ- लक्ष्मण जी हंसकर कहते हैं, हे देव! सुनिए हमारी समझ में तो सभी धनुष एक जैसे हैं। इस पुराने धनुष को तोड़ने में क्या हानि और क्या लाभ श्री रामचंद्र जी ने तो इसे नए के भ्रम में देखा था यह तो छूते ही टूट गया।
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राम लशमन परशुराम संवाद कविता की रचना तुलसीदास जी ने ब्रज मैथिली अवधि भाषा में की।
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