Hindi, asked by ujagar2923, 11 months ago

राम ने स्वयं का दास क्यों कहा विचार करके लिखिए।

Answers

Answered by RAthi21
6

hello!

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answer:-⤵

श्री राम ने परशुराम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘हे नाथ! भगवान् शिव के धनुष को तोड़ने वाला आप का कोई एक दास ही होगा? क्या आज्ञा है, आप मुझ से क्यों नहीं कहते?

यह सुनकर क्रोधी मुनि गुस्से में भर कर बोले-सेवक वह होता है जो सेवा का काम करे। शत्रु का काम कर के तो लड़ाई ही करनी चाहिए। हे राम! सुनो, जिस ने भगवान् शिव के धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है।

वह इस समाज को छोड़ कर अलग हो जाए, नहीं तो इस सभा में उपस्थित राजा मारे जाएंगे। मुनि के वचन सुन कर लक्ष्मण जी मुस्कराए और परशुराम का अपमान करते हुए बोले-हे स्वामी!

अपने बचपन में हम ने बहुत-सी धनुहियां तोड़ डाली थीं। किंतु आपने ऐसा क्रोध कभी नहीं किया। आपको इसी धनुष पर इतनी ममता किस कारण से है?

यह सुन कर भृगु वंश की ध्वजा के रूप में परशुराम जी गुस्से में भरकर कहने लगे कि- अरे राजपुत्र! यमराज के वश में होने से तुझे बोलने में भी कुछ होश नहीं है।

सारे संसार में प्रसिद्ध भगवान् शिव का धनुष क्या धनुही के समान है? अर्थात् तुम्हारे द्वारा शिव जी के धनुष को धनुही कहना तुम्हारा दुस्साहस है।

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Answered by anamikarbl2001
5

Explanation:

राम ने स्वयं को दास क्यों कहा

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