राम और रावण के मध्य होने वाले संवाद लिखिए
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संवाद राम और रावण के बीच
पूछता है रावण राम से मैंने ऐसा क्या किया ?
जलता हूँ सदियों से और कितने रावण फूँकोगे ,
काग़ज़ के रावण बहुत जलाए कब मन के रावण फूँकोगे?
एक संवाद राम और रावण के बीच ऐसा हुआ
पूछता है रावण राम से मैंने ऐसा क्या किया ?
हाहाकार मचा अब खुद तुम्हारी बस्ती में
मैंने तो पावन रखा सीता को अपनी नगरी में
पर कितनी निर्भया कलंकित हो रहीं तुम्हारी अपनी नगरी में
जलता हूँ सदियों से और कितने रावण फूँकोगे ,
काग़ज़ के रावण बहुत जलाए कब मन के रावण फूँकोगे?
अर्थ सारे व्यर्थ हो रहे , लोभी , पापी भरे पड़े हैं
मानवता चीत्कार कर उठी अब ,कैसी ये कमजोरी है
बहन के स्नेह में कदाचित हुई भूल की सज़ा
आज तक पाता हूँ
जलता हूँ सदियों से और रोज़ पछताता हूँ
इन प्रश्नों के उत्तर लेने हर वर्ष मैं आता हूँ ,
एक दुष्कर्म की सजा आज तक पाता हूँ ।
पर धरती पर चहुँ ओर कितने ही रावण पाता हूँ,
सीता से भी बुरी दशा में लाखों को मैं पाता हूँ ।
जलता हूँ सदियों से और कितने रावण फूँकोगे ,
काग़ज़ के रावण बहुत जलाए कब मन के रावण फूँकोगे?
मुझे फूँकना अब तुम छोड़ो , बातों की जगह काम करो
राम राज्य के लिए सब मिल कोई पहल करो
काग़ज़ के रावण बहुत जला लिए अब धरती उत्थान करो
ज़िंदा रावण को पकड़ो और उनका अब संहार करो ।