रिमझिम-रिमझिम-सी बूंदें, जग के आँगन में आईं। अपने लघु उज्ज्वल तन में, कितनी सुंदरता लाईं।
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अपने लघु उज्जवल तन में कितनी सुंदरता लायी ।। मेघों ने गरज-गरज कर मादक संगीत सुनाया । इस हरी-भरी संध्या ने हमको उन्मत्त बनाया ।। सूखी सरिताओं ने फिर सुंदर नवजीवन पाया ।
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