रामधारी सिंह दिनकर की कविता "वीर" का सारांश लिखिए।
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वैसी कविता जो मन को आंदोलित कर दे और उसकी गूंज सालों तक सुनाई दे. ऐसा बहुत ही कम हिन्दी कविताओं में देखने को मिलता है. कुछ कवि जनकवि होते हैं तो कुछ को राष्ट्रकवि का दर्जा मिलता है मगर एक कवि राष्ट्रकवि भी हो और जनकवि, यह इज्जत बहुत ही कम कवियों को नसीब हो पाती है. रामधारी सिंह दिनकर ऐसे ही कवियों में से एक हैं जिनकी कविताएं किसी अनपढ़ किसान को भी उतनी ही पसंद है जितनी कि उन पर रिसर्च करने वाले स्कॉलर को.
दिनकर की कविता इस समय भी उतनी ही प्रासंगिक मालूम होती है, जितनी कि उस दौर में जब वह लिखी गई थी. समय भले ही बदल गया हो लेकिन परिस्थितियां अभी भी वैसी ही हैं. दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को आज के बिहार राज्य में पड़ने वाले बेगूसराय जिले के सिमरिया ग्राम में हुआ था. उनकी प्रसिद्ध रचनाएं उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते हैं. उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई थी. पेश हैं
दिनकर की कविता इस समय भी उतनी ही प्रासंगिक मालूम होती है, जितनी कि उस दौर में जब वह लिखी गई थी. समय भले ही बदल गया हो लेकिन परिस्थितियां अभी भी वैसी ही हैं. दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को आज के बिहार राज्य में पड़ने वाले बेगूसराय जिले के सिमरिया ग्राम में हुआ था. उनकी प्रसिद्ध रचनाएं उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते हैं. उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई थी. पेश हैं
UtkarshJ04813:
सारांश कहा है?
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