Hindi, asked by yadava43527, 3 months ago

रानी कर्णावती हुमायूं को राखी क्यों नहीं बांधी​

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Answered by Anonymous
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रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी क्यों भेजी?

राजस्थान में राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हें विजयश्री के साथ वापस ले आएगा। माना जाता है कि मेवाड़ को सुल्तान बहादुर शाह से बचाने के लिए चितौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी।

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Answered by anmolkr135
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Explanation:

आज भी लोकगीतों में इस घटना का जिक्र आता है जब हुमायूं एक राखी का संदेश पाकर ही अपनी मुंहबोली बहन की रक्षा करने के लिए चला आया..

यह उस जमाने की बात है जब देश के राजा-महाराजा बात-बात पर युद्ध के लिए तैयार हो जाते थे। तब चित्तौड़ पर बहादुर शाह ने हमला किया। रानी कर्णवती विधवा थीं और उनके पास इतनी सैन्य शक्ति नहीं थी कि वे अपने राज्य की रक्षा कर सकें। तब उन्होंने हुमायूं को राखी भेजी और मदद के लिए प्रार्थना की। राखी तो हिंदुओं का पर्व है और हुमायूं मुस्लिम था, लेकिन उसने राखी का मान रखा और कर्णवती को बहन मानकर फैसला किया कि वह उसकी मदद जरूर करेगा। अपना प्रण निभाने के लिए हुमायूं एक विशाल सेना लेकर चित्तौड़ की ओर चल पड़ा। वह जमाना हाथी-घोड़ों की सवारी का था। सेना को साथ लेकर सैकड़ों किमी की दूरी तय करना आसान नहीं था और उसमें वक्त लगना स्वाभाविक भी था। हुमायूं चित्तौड़ पहुंचा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 8 मार्च 1535 को रानी कर्णवती ने चित्तौड़ की वीरांगनाओं के साथ जौहर कर लिया और अग्नि में समा गईं। बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा जमा लिया। जब यह खबर बाबर तक पहुंची तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने हमला किया। हुमायूं को विजय मिली और उसने पूरा शासन रानी कर्णवती के बेटे विक्रमजीत सिंह को सौंप दिया। इस घटना को सैकड़ों साल गुजर चुके हैं। आज हुमायूं नहीं हैं और न कर्णवती लेकिन कथा-कविताओं में इनका भाई-बहन का रिश्ता अमर है।

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