रूपक अंलकार के पाच उदारण बताइये?
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बीती विभावरी जागरी ! तारा-घट ऊषा नागरी। यहाँ, ऊषा में नागरी का, अम्बर में पनघट का और तारा में घट का निषेध-रहित आरोप हुआ है। अतः, यहाँ रूपक अलंकार है।
...
कुछ अन्य उदाहरण :
मैया ! ...
चरण-कमल बन्दौं हरिराई।
राम कृपा भव-निसा सिरानी।
प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।
चरण-सरोज पखारन लागा।
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मुख-चंद तुम्हारा देखा सिख I ,मन-सामर मेरा लहराया I
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