रूसी क्रांति ने रूसी समाज को किस प्रकार प्रभावित किया क्रांति के उपरांत देश में गृह युद्ध के हालात क्यों बन गए
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सन १९१७ की रूस की क्रांति विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। इसके परिणामस्वरूप रूस से ज़ार के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त हुआ तथा रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की स्थापना हुई। यह क्रान्ति दो भागों में हुई थी - मार्च १९१७ में, तथा अक्टूबर १९१७ में। पहली क्रांति के फलस्वरूप सम्राट को पद-त्याग के लिये विवश होना पड़ा तथा एक अस्थायी सरकार बनी। अक्टूबर की क्रान्ति के फलस्वरूप अस्थायी सरकार को हटाकर बोलसेविक सरकार (कम्युनिस्ट सरकार) की स्थापना की गयी।
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उनकी ज़िंदगी बेहद दिलचस्प रही. उन्होंने निर्वासन भोगा, वो जेल में रहीं, ज़ार की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गुप्तरूप से गतिविधियों में हिस्सा लिया. वो समाजवादी सरकार की स्थापना के लिए लड़ीं और सोवियत संघ में अहम पदों पर भी रहीं.
उनकी ज़िंदगी बेहद दिलचस्प रही. उन्होंने निर्वासन भोगा, वो जेल में रहीं, ज़ार की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गुप्तरूप से गतिविधियों में हिस्सा लिया. वो समाजवादी सरकार की स्थापना के लिए लड़ीं और सोवियत संघ में अहम पदों पर भी रहीं.लेकिन इतिहास की किताबों में उन्हें वो जगह नहीं मिलीं, जिसकी वे हकदार थीं. इतिहास के पुरुष चरित्रों के साये में उनका वजूद कहीं खोकर रह गया. दुनिया उनमें से कुछ को लेनिन, स्तालिन या ट्रॉटस्की के नाम से जानती है, लेकिन नादेज़्दा क्रुप्स्काया, इनेसा अरमंद और अलेक्ज़ेंड्रा कोलोनटाई के बारे में दुनिया बहुत कम जानती है.
उनकी ज़िंदगी बेहद दिलचस्प रही. उन्होंने निर्वासन भोगा, वो जेल में रहीं, ज़ार की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गुप्तरूप से गतिविधियों में हिस्सा लिया. वो समाजवादी सरकार की स्थापना के लिए लड़ीं और सोवियत संघ में अहम पदों पर भी रहीं.लेकिन इतिहास की किताबों में उन्हें वो जगह नहीं मिलीं, जिसकी वे हकदार थीं. इतिहास के पुरुष चरित्रों के साये में उनका वजूद कहीं खोकर रह गया. दुनिया उनमें से कुछ को लेनिन, स्तालिन या ट्रॉटस्की के नाम से जानती है, लेकिन नादेज़्दा क्रुप्स्काया, इनेसा अरमंद और अलेक्ज़ेंड्रा कोलोनटाई के बारे में दुनिया बहुत कम जानती है.लेकिन इसके बावजूद ज़ारशाही के ख़िलाफ़ पेट्रोग्रैड (मौजूदा सेंट पीटर्सबर्ग) की सड़कों पर उतरने वाली रूसी महिलाएं ही थीं जिन्होंने निकोलस द्वितीय की हुकूमत के विरुद्ध लोगों का गुस्सा भड़काने का काम किया था. रूस की बोल्शेविक क्रांति में महत्वपूर्ण रोल निभाने वाली महिलाओं पर एक नज़र.
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