राष्ट्रीय अखंडता का तात्पर्य विभिन्न जातियों, संप्रदायों, धर्मों, भाषाओं और क्षेत्रों की विविधता के बावजूद एक राष्ट्र की भावना से है। किनी
भी देश की ताकत और प्रगति के लिए सभी समाज और समुदायों के बीच एकता और सामंजस्य की भावना होना जरूरी है। वह एक देश में
रहने वाले सभी लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करती है। असल में, राष्ट्रीय अखंडता एक राष्ट्र की पहचान को मजबूत करता है।
राष्ट्रीय एकता एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया व एक भावना है जो किसी राष्ट्र अथवा देश के लोगों में भाई-चारा अथवा राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं
अपनत्व का भाव प्रदर्शित करती है। राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त एवं संगठित बनाती है। राष्ट्रीय एकता ही वह भावना है जो विभिन्न
धर्मों, संप्रदायों, जाति, वेश-भूषा, सभ्यता एवं संस्कृति के लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखती है। अनेक विभिन्नताओं के उपरात भी सभी
परस्पर मेल-जोल से रहते हैं। हमारा भारत देश राष्ट्रीय एकता की एक मिसाल है। जितनी विभिन्नताएं हमारे देश में उपलया है उतनी
शायद ही विश्व के किसी अन्य देश में देखने को मिलें । यहाँ अनेक जातियों व संप्रदायों के लोग, जिनके रहन-सहन, खान-पान वेश-भूषा
पूर्णतया भिन्न हैं, एक साथ निवास करते हैं। सभी राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में पिरोए हुए हैं ।जब तक किसी राष्ट्र की एकता सशक्त है तब
तक बह राष्ट्र भी सशक्त है। बाह्य शक्तियों इन परिस्थितियों में उसकी अखंडता व सार्वभौमिकता पर प्रभाव नहीं डाल पाती है पर जब
जब राष्ट्रीय एकता खंडित होती है तब-तब उसे अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता ?
question -उपरोक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।?
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