राष्ट्रीय एकता का प्रतीक हिन्दी भाषा
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भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी का अपने ही देश में दम घुट रहा है। भले ही आज देश के 80 प्रतिशत लोग हिन्दी पढ़, लिख व बोल सकते हैं और 95 प्रतिशत लोग हिन्दी किसी न किसी रूप में समझ सकते हैं, इसके बावजूद भी भारत की संसद के दोनों सदनों लोक सभा और राज्यसभा के अधिवेशनों में नेता उस भाषा का प्रयोग करते हैं, जिसकी वजह से हम अंग्रेजों के सैकड़ों सालों तक गुलाम रहे। इसी संदर्भ में आज हिन्दी दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण ने कुछ अनुभवी लोगों के विचार जाने :
हिन्दी के वरिष्ठ अध्यापक सुरेश शास्त्री का मानना है कि दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी यदि अपने ही देश में रोजगार के अवसरों की बाधक बनी हुई है तो इसका कारण हमारी सोच है। हम अंग्रेजी का इस्तेमाल करने में गर्व महसूस करते हैं। जापान, चीन, कोरिया और अन्य यूरोपियन देशों की तरह हमें भी हिन्दी को दफ्तरी भाषा के रूप में स्थापित करना चाहिए। महर्षि दयानंद जी ने कहा था कि हिन्दी द्वारा सारा भारत एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।
हिन्दी अध्यापक नवीन पराशर का कहना है कि वर्तमान समय में हिन्दी भाषा की दुहाई देने वाली केंद्र सरकार के सीबीएसई बोर्ड से संबंधित स्कूलों में ही हिन्दी भाषा को सम्मान नहीं मिल रहा है। पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने जहां हिन्दी को दसवीं तक अनिवार्य विषय बनाया हुआ है, वहीं सीबीएसई बोर्ड से संबंधित स्कूलों में इसे स्वैच्छिक विषय बनाया हुआ है।
सेवानिवृत्त हिन्दी अध्यापिका किरन जैन ने पराधीनता के समय की बात याद करते हुए बताया कि बंगाल में नवजागरण के अगुआ केशव चंद्र सेन ने 1875 में कहा था कि अगर हिन्दी को भारत की एकमात्र भाषा स्वीकार कर लिया जाए तो राष्ट्रीय एकता स्थापित हो सकती है। अभी अंग्रेज हमारे शासक हैं, वे यह होने नहीं देंगे, क्योंकि फिर भारतीयों में फूट नहीं रहेगी। केशव चंद्र सेन की आशंका सही थी। अंग्रेज नहीं चाहते थे कि देश की एकता बनी रहे, लेकिन क्या वर्तमान केंद्र सरकार ने हिन्दी को देश की एकता के तौर पर स्वीकार किया है?
हिंदी को हमेशा सम्मान की नजर से देखने वाले डा. जेडी वर्मा ने हिन्दी को आध्यात्म की भाषा बताया। डा. वर्मा ने कहा कि रामायण, श्रीमद्भगवद् गीता व भारतीय दर्शन के अन्य ग्रंथों को सूक्ष्मता और गहराई से समझाने का सामर्थ्य हिन्दी भाषा में सबसे अधिक है लेकिन साधक को चाहिए कि अपने प्रयत्नों से व गुरु कृपा से इन धार्मिक ग्रंथों से हमेशा जुड़ा रहे। हिन्दी दिवस के अवसर पर जिलावासियों को उनका यही संदेश है।
कंप्यूटर शिक्षिका कमलजीत कौर ने बताया कि कंप्यूटर अभी हिन्दी के लिए इतना मित्रवत नहीं हो पाया जितना कि अंग्रेजी के लिए। इसका कारण यह है कि इतिहास के एक खास मोड़ पर हिन्दी भाषी समुदाय ने कंप्यूटर को अपनाया था। उस वक्त तक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियां अंग्रेजी को आधार भाषा मानकर कंप्यूटर की संचालन प्रणाली यानि आपरेटिंग सिस्टम बना चुकी थी और यह व्यवहार में आ चुका था। हिन्दी भाषी समुदाय के लिए कंप्यूटर से जुड़ी दिक्कत की असली वजह यही है। यदि हम हिन्दी को उसके परम वैभव पर देखना चाहते हैं तो कंप्यूटर का हिन्दी मित्रवत होना, हिन्दी भाषी समाज के लिए व लोकतंत्र में भागीदारी के लिहाज से भी बहुत जरूरी है।
स्टेट अवार्ड प्राप्त हिन्दी अध्यापिका डा. बबिता जैन के मुताबिक हिन्दी पढ़ने वाले विद्यार्थी यदि अपने मन से हिन्दी को लेकर वे वजह की हीन भावना को निकाल दें तो उनके लिए आज नौकरी के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। बस जरूरत इस बात की है कि आप हिन्दी को आधार बनाकर खुद को जाब मार्केट के मुताबिक ग्रूम करें। बालीवुड की फिल्मों में काम करने वाले दक्षिण भारतीय कलाकर आज बालीवुड की फिल्मों में काम करने के लिए हिन्दी सीख रहे हैं। इतना ही नहीं हिन्दी की बढ़ रही ताकत को पहचान कर ही बिल गेट्स ने हिन्दी के भविष्य को उज्ज्वल बताया था।