राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान के मुख्य लक्ष्य क्या हैं?
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Explanation:
प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य उन प्रौढ व्यक्तियों को शैक्षिक विकल्प देना है, जिन्होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं, लेकिन अब वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, कौशल विकास (व्यावसायिक शिक्षा) और इसी तरह की अन्य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्यकता का अनुभव करते हैं।
- प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य उन प्रौढ व्यक्तियों को शैक्षिक विकल्प देना है, जिन्होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं, लेकिन अब वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, कौशल विकास (व्यावसायिक शिक्षा) और इसी तरह की अन्य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्यकता का अनुभव करते हैं।
- शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान की स्थापना जनवरी, 1991 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी ।
- जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा संस्थान के केन्द्र के रूप में कार्य करना तथा देश में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के लिए शैक्षिक तकनीकी तथा संसाधन सहायता प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान संकाय अनुसन्धान तथा प्रयोग के बीच दोहरा सम्बन्ध स्थापित करने के विभिन्न कार्यकलापों का संचालन करता है जिससे प्रौढ़ शिक्षा के ज्ञानाधार में सुधार हो सका है।
इस आयोग के निम्न कार्य हैं-
1. विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार करने एवं शिक्षण स्तर को उच्च बनाने के लिए विश्वविद्यालयों को सलाह देना।
2. भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर में समन्वय रखने तथा विश्वविद्यालय शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं पर एक विशेषज्ञ संस्था के रूप में भारत सरकार को परामर्श देना।
3. विश्वविद्यालयों को अपने कोष से दी जानी वाली धनराशि का वितरण करना तथा इस सम्बन्ध में अपनी नीति का निर्धारण करना।
4. नवीन विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं प्रचलित विश्वविद्यालयों के कार्य क्षेत्र की वृद्धि पर पूछे जाने पर अपना मत प्रकट करना।
5. भारत सरकार एवं विश्वविद्यालयों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना तथा उनकी शंकाओं का समाधान करना।
6. विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थितियों की जाँच करना और केन्द्रीय सरकार द्वारा उनको सहायता अनुदान में दी जाने वाली धनराशि के सम्बन्ध में सुझाव देना।
7. विश्वविद्यालय शिक्षा के विस्तार एवं विकास से सम्बन्धित आवश्यक कार्यों को पूरा करना।
8. विश्वविद्यालयों से उनकी परीक्षाओं, पाठ्यक्रमों, अनुसन्धान कार्यों, आदि के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करना।
9. विश्वविद्यालयों के लिए उपयुक्त समझी जाने वाली सूचनाओं को भारत तथा विदेशों से करके विश्वविद्यालयों को भेजना।
10. विश्वविद्यालय तथा विविध सेवाओं के लिए प्रदान की गई उपाधियों के सम्बन्ध में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को अपनी सलाह देना।
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