History, asked by ankithunk, 5 months ago

राष्ट्रपति के किन्हीं दो कार्यपालिका शक्ति को लिखें।

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Answered by sreturn
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Answer:

jaa kar unhi se puch lo.

Explanation:

2. संविधान के अनुरूप ही उन शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।

3. सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से की जाने वाली शक्ति का उपयोग विधि के अनुरूप होना चाहिए।

शपथ ग्रहण (अनुच्छेद 60)

प्रत्येक राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले देश के मुख्य न्यायमूर्ति या उनकी अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा :

'मैं अमुक........ ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं श्रद्धापूर्वक राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों का निर्वहन सत्यनिष्ठा से करूंगा तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा और मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूंगा।'

क्षमादान की शक्ति (अनुच्छेद 72)

राष्ट्रपति के पास किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, निलंबन, लघुकरण और परिहार की शक्ति है। मृत्युदंड पाए अपराधी की सजा पर भी फैसला लेने का उसको अधिकार है।

मंत्रिपरिषद

अनुच्छेद 74 : राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी। इसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करेगा।

अनुच्छेद 75 : प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा। अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

सरकारी कार्य का संचालन

अनुच्छेद 77 : भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम से की जाएगी।

अनुच्छेद 78 : प्रधानमंत्री का कर्तव्य होगा कि संघ के प्रशासन संबंधी मंत्रिपरिषद के निर्णयों से राष्ट्रपति को सूचित करेगा।

संसद का गठन

अनुच्छेद 79 : संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी।

अनुच्छेद 80 : साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले 12 व्यक्तियों को राष्ट्रपति, राज्यसभा के लिए नामांकित कर सकता है।

संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन

अनुच्छेद 85 : राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा।

-सदनों या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा

-लोकसभा का विघटन कर सकेगा

भाषण का अधिकार (अनुच्छेद 86)

वह संसद के किसी एक सदन में या एक साथ दोनों सदनों में भाषण दे सकेगा।

विशेष भाषण (अनुच्छेद 87)

वह प्रत्येक लोकसभा चुनाव के बाद प्रथम सत्र और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में संसद के दोनों सदनों में भाषण करेगा।

आपातकाल

अनुच्छेद 352 : युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

अनुच्छेद 356 : राष्ट्रपति द्वारा किसी राज्य के सांविधानिक तंत्र के विफल होने की दशा में राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

अनुच्छेद 360 : भारत या उसके राज्य क्षेत्र के किसी भाग में वित्तीय संकट की दशा में वित्तीय आपात की घोषणा का अधिकार राष्ट्रपति को है।

विवेकाधार

राष्ट्रपति कई महत्वपूर्ण शक्तियों का निर्वहन करता है जो अनुच्छेद 74 के अधीन करने के लिए वह बाध्य नहीं है। वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पास किए गए बिल को अपनी सहमति देने से पहले 'रोक' सकता है। विगत में इस तरह के दो ऐसे महत्वपूर्ण मसले रहे हैं। वह किसी बिल (धन विधेयक को छोड़कर) को विचार के लिए सदन के पास दोबारा भेज सकता है।

अनुच्छेद 75 के मुताबिक, 'प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।' स्पष्ट रूप से यह भी मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना ही किया जाएगा। चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को जब स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए ही सरकार बनाने के लिए लोगों को आमंत्रित करता है। ऐसे मौकों पर उसकी भूमिका निर्णायक होती है। I Think Its Helpful.

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