राष्ट्रवाद के प्रति उदार मानवतावादी दृष्टिकोण
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Liberal humanism has its roots at the beginning of English studies in the early 1800's and became fully articulated between 1930 and 1950. It was attacked by theories such as Marxism and Feminism beginning in the 1960's. In 1840, F.D. Maurice argued that the study of English literature connects readers to what is "fixed and enduring" in their own national identity
राष्ट्रवाद के प्रति उदार मानवतावादी दृष्टिकोण :
"भाई भाई बातें सम्प्रदायों में
रो रहा है कहीं राष्ट्रवाद
सगे सम्बन्धी बिछड़ गए
आ जाओ मानवतावाद"
हम नित्य प्रति देश के राष्ट्र के नारे बुलंद करते हैं Iलेकिन इन नारों के लिए कुछ नहीं करते सिर्फ आवाज़ बुलंद करने से नहीं होगा, काम भी करना होगा I 26 जनवरी 15 अगस्त को राष्ट्र के नाम लंबा चौड़ा सन्देश प्रसारित होता है I हम टीवी पर उसे देखते हैं सुनते हैं ,लेकिन ज़रा भी उसपर ध्यान नहीं देते Iइन तथ्यों पर काफी जोर शोर से तैयारियां होती हैं Iकरोड़ों रुपये खर्च होते हैं लेकिन जहाँ खर्च होना चाहिए परिणाम कुछ भी नहीं Iपूरा देश सिर्फ राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री नहीं चला सकते पूरे भारत वासियों को आगे आना पड़ेगा I एक जुट होकर जब तक राष्ट्रवाद के लिए सच्चा प्रण न लें तो देश के लिए कुछ नहीं कर पायेंगे I हरघर को अपना देश समझा जाए और हर व्यक्ति स्वयं को भारत समझे I
तो देखिये कितनी प्रगति होती है I
"जो आज़ादी हमने खोयी थी ,वो दे गए स्वंत्रता
आज राष्ट्रवाद के प्रति ,रखो उदार मानवता
मानवता मानव के ह्रदय से नहीं जानी चाहिए मानवता रहेगी तो विवेकपूर्ण फैसले होंगे और हमारा राष्ट्र मजबूती से बना रहेगा I