रीतिबद्ध और रीतिमुक्त काव्याधारा के कवियों के नाम बताइए
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रीतिकालीन हिंदी कविता की शुरूआत केशवदास की ‘कविप्रिया’ और ‘रसिकप्रिया’ से होती है बाद में ‘चिंतामणि’ के लक्षण ग्रंथों की अखण्ड परंपरा चली उसके बाद तो लक्षण ग्रंथों की बहुतायत सी होने लगी। इसी बीच कविता लिखने की एक विशिष्ट परिपाटी बन गई। इस समय के आचार्य कवि संस्कृत साहित्य की जिस उत्तर कालीन परंपरा के अनुयायी थे उनमें भी बहुत सूक्ष्म विश्लेषण अनुपस्थित था। चिंतन का धरातल यहाँ इसलिए भी बहुत विकसित नहीं था कि गद्य की विवेचन शैली इन आचार्य कवियों के पास नहीं थी इनका शास़्त्र ज्ञान अपेक्षाकृत सीमित और अपरिपक्व था इनकी पहुँच ‘चंद्रालोक’, ‘कुवलयानंद’, ‘रसतरंगिणी’, ‘रसमंजरी’ अधिक से अधिक ‘काव्य प्रकाश’ और ‘साहित्य दर्पण’ तक थी।
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रीति बद्ध = कुलपति मिश्र, चिंता मणि, bhikharidas
रीति मुक्त = आलम, घनानंद, ठाकुर, बोधा