रात सा दिन हो गया फिर
रात आई और काली
लग रहा था अब ना होगा
इस निशा का फिर सवेरा
रात से उत्पाद भय से
भीत जन-जन भीत कंण-कन
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर फिर
नीड़ का निर्माण फिर फिर
नेह का अहान फिर फिर
इस पंक्ति के कवि का नाम हरिवंश राय बच्चन है ..
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Explanation:
रात से दिन हो गया फिर रात आई और काली इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
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दी गई पंक्तियों का भावार्थ :
- संदर्भ : यह पंक्तियां नीड़ का निर्माण फिर फिर इस कविता से ली गई है। इस कविता के रचयिता है हरिवंश राय बच्चन जी।
- प्रसंग : कवि ने इस कविता में पक्षियों से सीख लेकर जीवन की कठिनाइयों से लडने की प्रेरणा दी गई तथा सब कुछ नाश हो जाने पर फिर से नया निर्माण करने की बात कही है
- व्याख्या : पक्षी से कवि कहते है कि अपने नष्ट हुए घोंसले का फिर से निर्माण कर। फिर से अपने मीठे स्वर से इस विश्व को प्रेम से भर दे।
- आसमान में आंधी आने से अंधेरा ही गया। बादलों में धूल भार गई व धूल से भर इन बादलों ने पृथ्वी को घेर लिया जिसके कारण अचानक से अंधकार छा गया।
- ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे सवेरा नहीं होगा। रात के इस अंधकार से पृथ्वी का कण कण भयभीत हो गया है। लोग भी डरे हुए है। हे पक्षी पूर्व दिशा में सूर्य मी किरणे चमक रही है इसलिए तू निराश न हों।
- इस जगत को प्रेम का संदेश देकर पुनः घोंसले का निर्माण कर।
#SPJ6
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