र्दुबुुखि नविश्यनत " पाठ सेहर्मेंक्या द्वशक्षा द्वर्मलती है?
Answers
Explanation:
मूल श्लोकः
श्री भगवानुवाच
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे
येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः।।11.32।।
श्रीभगवान् बोले -- मैं लोकोंका नाश करनेवाला बढ़ा हुआ काल हूँ। मैं जिसलिये बढ़ा हूँ वह सुन? इस समय मैं लोकोंका संहार करनेके लिये प्रवृत्त हुआ हूँ? इससे तेरे बिना भी ( अर्थात् तेरे युद्ध न करनेपर भी ) ये सब भीष्म? द्रोण और कर्ण प्रभृति शूरवीर -- योद्धालोग जिनसे तुझे आशङ्का हो रही है एवं जो प्रतिपक्षियोंकी प्रत्येक सेनामें अलगअलग डटे हुए हैं -- नहीं रहेंगे।
Explanation:
मूल श्लोकः
श्री भगवानुवाच
कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो
लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।
ऋतेऽपि त्वां न भविष्यन्ति सर्वे
येऽवस्थिताः प्रत्यनीकेषु योधाः।।11.32।।
श्रीभगवान् बोले -- मैं लोकोंका नाश करनेवाला बढ़ा हुआ काल हूँ। मैं जिसलिये बढ़ा हूँ वह सुन? इस समय मैं लोकोंका संहार करनेके लिये प्रवृत्त हुआ हूँ? इससे तेरे बिना भी ( अर्थात् तेरे युद्ध न करनेपर भी ) ये सब भीष्म? द्रोण और कर्ण प्रभृति शूरवीर -- योद्धालोग जिनसे तुझे आशङ्का हो रही है एवं जो प्रतिपक्षियोंकी प्रत्येक सेनामें अलगअलग डटे हुए हैं -- नहीं रहेंगे।