Political Science, asked by PragyaTbia, 1 year ago

रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए?

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Answered by siddharthprince2006
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सामाजिक – आर्थिक प्रगति की विचारधारा और रणनीति के रूप में सतत विकास पर 1980 के दशक के लगभग विश्‍व स्‍तर पर चर्चा आरंभ हुई। पर्यावरण एवं विकास पर पहले संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन (यूएनसीईडी) का आयोजन वर्ष 1992 में रियो डि जेनारियो में किया गया था। इस शिखर स्‍तरीय बैठक में अन्‍य बातों के साथ-साथ एजेण्‍डा 21 को अंगीकार किया गया जो बाद के वर्षों में सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में वैश्‍विक रूपरेखा बन गई।

यूएनसीईडी अथवा इसके लोकप्रिय नाम 'रियो अर्थ शिखर सम्‍मेलन' के बाद वर्ष 2002 में जोहानसबर्ग में सतत विकास पर विश्‍व शिखर सम्‍मेलन (डब्‍ल्‍यूएसएसडी) का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्‍य सतत विकास प्रतिमानों को और संवेग प्रदान करना था। इस शिखर सम्‍मेलन में जोहानसबर्ग घोषणा तथा जोहानसबर्ग कार्य योजना (जेपीओआई) पारित की गई।

rio02 एजेण्‍डा 21 ने रियो सम्‍मेलन की प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई को बढ़ावा देने तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग में वृद्धि करने और पर्यावरण एवं विकास संबंधी मुद्दों के समेकन हेतु किए जा रहे अंतर्राष्‍ट्रीय नीति निर्णय प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने और राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एजेण्‍डा 21 के कार्यान्‍वयन की प्रगति की जांच करने के लिए एक संस्‍थागत तंत्र की स्‍थापना किए जाने की अनुशंसा की।

तदनुरूप वर्ष 1992 में संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने संयुक्‍त राष्‍ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (इकोसोस) के एक कार्यात्‍मक आयोग के रूप में सतत विकास से संबद्ध संयुक्‍त राष्‍ट्र आयोग (सीएसडी) का सृजन किया, जिसे पर्यावरण एवं विकास पर रियो घोषणा के कार्यान्‍वयन में होने वाली प्रगति की समीक्षा करने का अधिदेश दिया गया।

रियो+20 सम्‍मेलन :

सतत विकास से संबद्ध संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन (यूएनसीएसडी) का आयोजन 20-22 जून, 2012 तक रियो डि जेनारियो, ब्राजील में किया जाएगा। इस सम्‍मेलन का आयोजन 1992 में रियो डी जेनारियो में आयोजित अर्थ शिखर सम्‍मेलन के 20 वर्षों के बाद किया जा रहा है और इसीलिए इसे रियो+20 भी कहा जाता है। रियो+20 को सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त करने और निरंतरता के संबंध में वैश्‍विक कार्रवाई को बढ़ावा देने संबंधी नई रूपरेखाओं की तलाश करने की प्रक्रिया में वैश्‍विक समुदाय के लिए एक महत्‍वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

यूएनसीएसडी 2012 के निम्‍नलिखित उद्देश्‍य हैं :

सतत विकास के लिए नवीकृत राजनैतिक प्रतिबद्धता सुनिश्‍चित करना

रियो सम्‍मेलन के बाद हुई प्रगति तथा निष्‍कर्षों के कार्यान्‍वयन की कमियों का आकलन करना

नई एवं उभरती चुनौतियों का समाधान करना।

यूएनसीएसडी 2012 के निम्‍नलिखित विषय हैं :

सतत विकास तथा गरीबी उन्‍मूलन के संदर्भ में हरित अर्थव्‍यवस्‍था; और

सतत विकास के लिए संस्‍थागत रूपरेखा।

तैयारी प्रक्रिया

वर्ष 2010 के बाद से अनेक अंत:क्रियात्‍मक बैठकें हुईं, जिनमें विभिन्‍न पणधारियों को शामिल किया गया। यूएनसीएसडी सचिवालय ने अब तक तैयारी समिति की दो बैठकों का आयोजन किया है। पिछले कुछ महीनों के दौरान विभिन्‍न देशों ने विषयवस्‍तु से संबद्ध अनेक उच्‍चस्‍तरीय बैठकों का आयोजन किया, जिनका उद्देश्‍य दोनों विषयों में शामिल महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर बेहतर समझबूझ और सर्वसम्‍मति को बढ़ावा देना था। भारत इस प्रक्रिया और अक्‍टूबर, 2011 में आयोजित दिल्‍ली मंत्रिस्‍तरीय संवाद में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसमें 'हरित अर्थव्‍यवस्‍था एवं समावेशी विकास' विषय पर विशेष बल दिया गया और जिसमें 11 देशों तथा 9 बहुपक्षीय संगठनों ने भाग लिया।

इसके अतिरिक्‍त विश्‍व के 5 भौगोलिक क्षेत्रों में भी इकोसोस के तत्‍वावधान में क्षेत्रीय तैयारी बैठकों का आयोजन किया गया।

rio03इन बैठकों के निष्‍कर्षों के आधार पर 'परिणाम दस्‍तावेज' के शून्‍य मसौदे को तैयार किया जाएगा, जिसे रियो+20 के दौरान पारित किया जाना है। भारत की राष्‍ट्रीय सूचना सामग्रियों को अंतिम रूप दे दिया गया है और अंतर्मंत्रालयी परामर्शों, चुनिंदा तकनीकी संगठनों के अनुसंधान तथा विभिन्‍न पणधारियों के बातचीत पर आधारित एक व्‍यापक प्रक्रिया के उपरांत इसे सूचित भी कर दिया गया है, जिसे नीचे दिया गया है।

25-27 जनवरी, 2012 को शून्‍य मसौदे पर हुई आरंभिक चर्चा के उपरांत संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में अब तक 'अनौपचारिक-अनौपचारिक' वार्ताओं के तीन दौर हो चुके हैं। पिछली वार्ता 2 जून, 2012 को हुई थी। तैयारी समिति की तीसरी बैठक का आयोजन 13-15 जून, 2012 को रियो में किया जाएगा, जिसमें 20-22 जून, 2012 को आयोजित किए जाने वाले शिखर सम्‍मेलन से पूर्व अतिरिक्‍त चर्चा की जाएगी।

हरित अर्थव्‍यवस्‍था

रियो+20 से पूर्व ''हरित अर्थव्‍यवस्‍था'' से संबद्ध विषय ने व्‍यापक तौर पर ध्‍यान आकर्षित किया है। विकासशील देशों का मानना है कि रियो सिद्धांतों द्वारा परिभाषित सतत विकास और इसकी तीन आधारशिलाओं नामत: आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय के आधार पर वैश्‍विक विकास मार्ग को परिभाषित करने की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। उनकी समझ में हरित अर्थव्‍यवस्‍था को इस व्‍यापक रूपरेखा के साथ सहयोजित माना गया है तथा हरित विकास पर कार्रवाई तभी प्राप्‍त की जा सकती है जब विकासशील देशों को वित्‍त, प्रौद्योगिकी एवं क्षमता निर्माण की दिशा में सहायता प्रदान करते हुए समर्थकारी तंत्र उपलब्‍ध कराया जाए।

आगे उनका मानना है कि एक रूपरेखा के रूप में 'हरित अर्थव्‍यवस्‍था' तभी सफल होगी जब इससे गरीबी उन्‍मूलन की समस्‍या का समाधान करने की क्षमताओं का उन्‍नयन हो, राष्‍ट्रीय परिस्‍थितियों एवं प्राथमिकताओं के लिए नीतिगत उपाय किए जाएं और यह सुनिश्‍चित किया जाए कि इसके परिणामस्‍वरूप आए ढांचागत बदलावों से हरित संरक्षणवाद एवं अवांछनीय शर्तों को बढ़ावा न मिले।

Answered by TbiaSupreme
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"रियो सम्मेलन अथवा पृथ्वी सम्मेलन के निम्नलिखित परिणाम रहे-

यह सम्मेलन 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरियो में आयोजित हुआ| इसमें पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों और उनकी रोकथाम के उपायों पर चर्चा की गई| 170 देशों ने इस सम्मेलन में भाग लिया था| सम्मेलन के मुख्य परिणाम निम्न है_

1. सम्मेलन में यह तय किया गया कि पर्यावरण संरक्षण एक गंभीर और विश्वव्यापी समस्या है| इसका तुरंत समाधान किया जाना आवश्यक है|

2. इसमें स्वीकार किया गया कि पर्यावरण सुरक्षा सभी देशों की साची जिम्मेदारी है| पर्यावरण प्रदूषण रोकना केवल विकसित देशों का ही उत्तरदायित्व नहीं है|

3. इस सम्मेलन में यह तय किया गया की विकासशील देशों को विकास की प्रक्रिया के लिए कुछ सुनिश्चित नियम बनाने चाहिए और विकसित देशों को अपनी विकास गतिविधियों पर रोक लगा देनी चाहिए क्योंकि उन्होंने विकसित देश की स्थिति लगभग प्राप्त कर ली है|

4. यह भी सुनिश्चित किया गया की विकासशील देशों को टिकाऊ विकास के दूर तरीके अपनाने चाहिए| टिकाऊ विकास का अभिप्राय ऐसे विकास से है इसके कारण पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को कोई हानी ना पहुंचे| और वह आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट पैदा ना करें|

5. पर्यावरण संरक्षण के लिए इस सम्मेलन में सभी देशों की सारी जिम्मेवारी परंतु अलग-अलग भूमिका के सिद्धांत को अपनाया गया| इस संधि को स्वीकार करने वाले देश पर्यावरण संरक्षण में अपनी क्षमता के आधार पर योगदान दें यह सुनिश्चित किया गया|

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